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________________ १५ शब्दादि तीन नय १. व्यञ्जन नय सामान्य का परिचय, २. तीनो का विषय एकत्व, ३ तीनों में उत्तरोत्तर सूक्ष्मता, ४. वचन के दो प्रकार, ५ व्यभिचार का अर्थ, ६. शब्द नय का लक्षण, ७. शब्द नय के कारण व प्रयोजन, ८ समभिरूढ़ नय का लक्षण, ९. सम • १ रूढ नय के कारण व प्रयोजन, १०. एवंभूत नय का लक्षण, ११ एवंभूत नय के कारण व प्रयोजन, १२. तीनों नयों का समन्वय । ज्ञान नय, अर्थ नय और शब्द नय ऐसे व्यञ्जन नय सामान्य का परिचय नय सामान्य के पहिले तीन भेद किये गये थे । उनमे से ज्ञान नय का व्याख्यान नैगम नय के नाम से कर दिया गया । अर्थ नय के दो भेद है - सामान्य ग्राही
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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