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________________ १४ ऋजु सूत्र नय ५. ऋजु सूत्र नय सम्बन्धी का ( ध०।१२।२६०२१) (क० पा० |१| २१३ ।२६३ । १९) ६. शंका ३७८ (ध० (० । १० । ११ । १६) " तद्भव सामान्य व सादृश्य सामान्य रूप द्रव्य ( व्यञ्जन पर्याय) को स्वीकार करने वाला ऋजु सूत्र द्रव्यार्थिक कैसे नही है ?" - उत्तर- "नही, क्योंकि ऋजु सूत्र घट पट व स्तम्भादि स्वरूप व्यञ्जन पर्यायों से परिच्छिन्न ऐसे अपने पूर्वापर भावो से उसे रहित वर्तमान मात्र को विषय करता है, अतः द्रव्याथिक मानने में विरोध आता है ।" ( एक पदार्थ जो घट रूप से प्रतीति मे आता है पहिले कभी कुशूल रूप रह चुका है और आगे कपाल भी बन जाने वाला है । भूत और भविष्यत के इन रूपों से निरपेक्ष उस पदार्थ को केवल घट मात्र ही देखना | उसकी उत्पत्ति से पहिले तथा उसके विनाश के पश्चात उस पदार्थ की सत्ता का किसी भी रूप में ग्रहण न होना ऋजुसूत्र दृष्टि है । अतः यह द्रव्य पर्याय को ग्रहण करने पर भी पर्यायार्थिक ही है द्रव्याथिक नही । ७ शंका - शुद्ध द्रव्यार्थिक या शुद्ध सग्रह तथा शुद्ध पर्यायार्थिक या ऋजुसूत्र दोनों में ही भेदों का निरास करके वस्तु को निर्विकल्प सिद्ध किया गया है । तब दोनों में क्या अन्तर रहा ? उत्तर - निर्विकल्पता की अपेक्षा यद्यपि कोई अन्तर नही, परतु अद्वैत व एकत्व का अन्तर है । संग्रह नय शुद्ध अद्वैत को और ऋजुसूत्र शुद्ध एकत्व को सत् रूप से स्वीकार
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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