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________________ १२. नैगम नय भूत शुद्ध या अशुद्ध द्रव्य ---- ऋजु सूत्र नैगम सामान्य वर्तमान भविष्यत शुद्ध या अशुद्ध द्रव्यशब्द नैगम २४७ शुद्ध या अशुद्ध द्रव्य ---- समभिरूढ नै नैगम शुद्ध द्रव्य नैगम द्रव्य नैगम पर्याय नैगम द्रव्य पर्याय नैगम ३ भूत वर्तमान व भावि नैगम नय शुद्ध या अशुद्ध द्रव्य -- एवं भूत विशेष अशुद्ध अर्थ व्यन्जन ग्रय द्रव्य पर्याय पर्याय व्यन्जन नैगम नैगम नैगम पर्याय नैगम शुद्ध द्रव्यार्थ पर्याय --- नगम अशुद्ध द्रव्यार्थ पर्याय नैगम शुद्ध हव्य व्यन्जन पर्याय नैगम अशुद्ध द्रव्य व्यन्जन पर्याय नैगम यद्यपि अर्थ व व्यञ्जन पर्याय नैगम के भी शुद्ध व अशुद्ध रूप से ग्रहण करने पर दो दो भेद हो जाते है । परन्तु उनके लक्षण सामान्य अर्थ व व्यञ्जन पर्याय नैगम मे ही गर्भित हो जाते है, अतः यहा उनका पृथक ग्रहण नही किया है । इन सर्व भेदो के अब क्रम से लक्षण आदि दर्शाये जायेगे । पहिले काल सूचक भूत, वर्तमान व भावि नैगम का स्वरूप देखिये । यहा तक द्रव्य का विश्लेपण उसके अनेक सहवर्ती व क्रमवर्ती ३. भूत वर्तमान अंगो के आधार पर अर्थात गुणो व पर्यायो के व भावि नैगम आधार पर कर कर के, उनके अखण्डत्व का परिचय दिलाने के लिये, आगम पद्धति कथित शास्त्रीय सात नयो का निर्देश
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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