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________________ विषय-सूची नं. विषय पृष्ठ / नं. विषय पृष्ठ - १ पक्षपात व एकान्तः- ४ प्रमाण व नय:१ पक्षपात का विष १ १ अभ्यास करने की प्रेरणा ४७ २ वचनो में अन्तरग भावो की ४ २ अखडित ज्ञान का अर्थ ४६ झलक ५ सम्यकू व मिथ्याज्ञान:३ पक्षपात का कारण १ नय प्रयोग का प्रयोजन ५६ ४ कुछ और भी है २ सशयादि व उसका कारण ५७ ५ वैज्ञानिक बन ___ अखड चिन्त्रण का अभाव ६ आगम में सब कुछ नही १० ३ सम्यक् व मिथ्याज्ञान के ५६ ७ कोई भी मत सर्वथा झूठ नही १३ लक्षण ८ अनेकान्तवाद का जन्म १६ ४ आगम ज्ञान में सम्यक् व ६० २ शब्द व ज्ञान सम्बन्ध मिथ्यापना १ पढने का प्रयोजन शाति १८ ५ प्रत्यक्ष ज्ञान मे सम्यक् व ६१ २ प्रत्यक्ष व परोक्ष ज्ञान १६ । मिथ्यापना ३ प्रतिविम्ब व चिवण २२ ६ सम्यग्ज्ञान मे अनुभव का ६४ ४ शव्द की असमर्थता २५ स्थान ५ वस्तु को खण्डित करके २७ ७ काल्पनिक चित्रण सम्यग्ज्ञान ६६ प्रतिपादन की पद्धति नही ३ वस्तु व ज्ञान सम्बन्ध- ८ आगम की सत्यार्थता ६८ १ अल्पज्ञता की बाधकता पक्ष- ३१ ६ ज्ञानी के सान्निध्य का ६६ पात व एकान्त सम्यग्ज्ञान प्राप्ति मे स्थान २ वस्तु अनेकागी है ३६ / १० वस्तु पढने का उपाय ३ विश्लेषण द्वारा परोक्षज्ञान ३६ / ११ कुछ लक्षण ४ परोक्षज्ञान का ज्ञानपना ४२ । ६ द्रव्य सामान्यः५ कुछ शब्दो के लक्षण ४५ / १ नयो को जानने का प्रयोजन ८५ । . .
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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