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________________ मुजफ्फरनगर ६७ होनेके कारण आठ दिन तक बहुत चहल पहल रही परन्तु अन्तिम दिन होलीका उत्सव होनेसे अधिकाश लोग चले गये। पं० फूलचन्द्र जी शास्त्री बनारस, पं० दरवारीलाल जी कोठिया तथा मुख्त्यार साहब भी यहाँ आये थे। एक दिन हमारा भोजन स्वर्गीय महावीरप्रसाद जी रईस विजनौरवालोंकी पुत्रीके घर हुआ। आपने वर्णीग्रन्थमालाको १०१) दिये। आप बहुत ही धर्मनिष्ठासे रहती हैं। आपके पतिका स्वर्गवास हो गया है । वड़ा ही सज्जन था, निरन्तर दानमें प्रवृत्ति रखता था तथा जैनधर्मकी पुस्तकें वितरण करता था । भीड़-भाड़ कम हो जानेसे २ दिन शान्तिसे बीते । मुजफ्फरनगर चैत्र बदी ३ सं० २००५ को हस्तिनागपुरसे चलकर गणेशपुर आये । चलते समय लाला कपूरचन्द्र जी कानपुरवालोंने बड़े आग्रहसे कहा कि यदि कहीं पर कुछ आवश्यकता पड़े तो वह आप मेरेसे मॅगा लीजिये। गणेशपुरमे विद्यानन्दीजीने जो कि ब्राह्मण हैं गुरुकुलके लिये ११) दिये । १ बजे चलकर ३ वजे मवाना आ गये। यहाँ बहुत ही शानदार स्वागत किया गया। पं० शीलचन्द्र जी शास्त्री बहुत ही योग्य हैं, इनका सर्व समाज पर प्रभाव है, आप म्युनिसिपलके चेयरमेन हैं तथा ऐंग्लो संस्कृतकालेजके सभापति भी हैं। दूसरे दिन प्रातःकाल प्रवचन हुआ । मध्यान्हके बाद १ बजे एंग्लो संस्कृत कालेजमे गये । प्रिन्सिपल साहवने बहुत ही आदरसे स्वागत किया। आपने वर्तमान परिस्थितिका स्वरूप सम्यक रीतिसे बतलाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षामे प्रायः चार्वाक मतकी ही पुष्टि होती है। आज कल शिक्षाका प्रयोजन केवल अर्थोपार्जन और कामसेवन मुख्य
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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