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________________ इटावाकी ओर कर सामायिक किया तदनन्तर २३ वजे चलकर ३ मीलके वाद गणेशपुरमें आ गये। इटावा की ओर सामायिक आदि करके परस्पर कुछ चर्चा हुई । तदनन्तर सो गये । १२३ बजे निद्रा भङ्ग हो गई ३ घण्टा कुछ विचार किया पश्चात् कठिनतासे निद्रा आयी। उस समय यह विचार मनमे आया कि जिनके पास वन नहीं ऐसे गरीब लोग कैसे रात्रि व्यतीत करते होंगे ? तव यही मनमे आया कि उनकी आशा वश हो जाती है। आशा ही तो समस्त दुःखोंका कारण है जिसने आशापर विजय पा ली उसने जगत् को जीत लिया। दूसरे दिन प्रातःकाल गणेशपुरसे चलकर ८१ वजे मवाना आ गये । मन्दिरमे स्वाध्यायके बाद भोजन किया। २ बजेसे संस्कृत कालेजमें प्रिन्सपल साहबके आग्रहसे गये। बहुत ही योग्य पुरुष हैं ३ घंटा आपका व्याख्यान हुआ। आध्यात्मिक शिक्षाके बिना लौकिक शिक्षा कुछ अर्थकरी नहीं। । घण्टा मैंने भी इसी विषयपर कुछ कहा । पश्चात् यहाँसे चलकर ५ वजे छोटे मुहाना आ गये और स्कूल में ठहर गये। दूसरे दिन छोटे मुहानेसे ३ मील चल कर एक गाँवमे ठहर गये। दिल्लीवाले छुट्टनलाल मैंदावालोंके यहाँ भोजन किया। बहुत ही योग्य व्यक्ति हैं यहाँसे ५ मील चल कर चक्की पर ठहर गये और वहाँ रात्रिभर रहे रात्रि सानन्द बीती। मनमें भाव आया कि 'अन्तरङ्ग की निर्मलताके विना वाह्य निर्मलता वक्वेषके
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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