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________________ ऐतिहासिकोका वर्तमान कर्तव्य ६१५ है। परन्तु जिन षड्यंत्रकारियोंने वर्तमान भारतके सरचे इतिहासको मिथ्याकी चादरसे ढक डाला है वे लोलुप लोग चाणक्य चन्द्रगुप्तकी निःस्पृह देश सेवाके मादर्शकी उपेक्षा करने में ही अपना व्यक्तिगत लाम समझते हैं । यदि देश अपनी आँखोंसे काम ले तो निश्चय ही ये लोग राज्यलोभी भौर देशद्रोही माने जाय । इन लोगोंने जनताले विश्वासघात करके राज्य हथियानेका कुदृष्टान्त ही देशके सामने उपस्थित किया है और राजा कालस्य कारणम् ' के अनुसार देशभरपर चरित्र हीनताकी छाप लगा डाली है । ये लोग तो अपनी करनी कर चुके । अब भारत के ऐतिहासिकों के सिर राष्ट्रीय भादर्शकी रक्षा करनेके कर्तव्यको करनेका अवसर मा खडा हुआ है । राट्रीय भादर्शकी रक्षा करनेका उत्तरदायित्व इन राज्यलोभी लोगोंके भरोसे पर नहीं छोडा जा सकता ! छोड दिया जाय तो देशका निश्चित भकल्याण होना है। इस समय भारत के ऐतिहासिकोका कर्तव्य है कि वे इन भादर्शघातियों का भंडाफोड करे और भारत सन्तानके सम्मुख चाणक्यकी राष्ट्र-सेवावाले निर्मल आदर्शको सदाके लिये उज्ज्वल तथा अमिट बनाकर सुरक्षित कर डाले।। हमारे देश के साहित्यसेवी जाने कि चाणक्य चन्द्रगप्तका पदानुसरण ही वीर पूजा है । किन्हीं महापुरुषोंका नाम रट लेना मात्र या उन्हें शाब्दिक अन्दांजलि अर्पण कर देना मात्र वीर पूजा नहीं है । श्रद्धेय वीर जैसा वीर बन जाना ही सरची वीर पूजा है। 'देवो भूत्वा देवं यजेत् ' जैसे देव बनकर ही देव पूजा होती है इसी प्रकार वीर बनकर वीरका गुणगान होता है । वीर बने विना वीरका गुणगान करना तो वीरताका उपहास है। साहित्यकी सार्थकता यह है कि वह समाजका सरचा कल्याण करनेवाला अभिन्न सार्थी बने और उसके हितमें रत रहे । ऐसे मादर्श साहित्यनिर्माणसे बचनेवाले साहित्यिक कुसाहित्य उत्पन्न करने के कारण देशद्रोही हैं । सिकन्दरकी नृशंसता भारतके प्राचीन तथा वर्तमान पाहिरियकोंकी दृष्टि में कठोरतम भाषामें निंदनीय है और सिकन्दरके संपूर्ण मनुष्य समा
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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