SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 573
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चाणक्यसूत्राणि देकर केवल भारतको भावी पीढियों को ही नहीं संसारभरको कितना अनु. गृहीत किया है यह जो देखना चाहें वे इस भाष्य में विस्तारसे दिखाये उनके मनोभावोंसे भली प्रकार जान सकते हैं । अन्य कारकी लेखनीमें जो ओज, तेज, दृढता, साहस, आत्मविश्वास तथा राष्ट्रसुधारकी गहरी लगन है उसे देखनेसे पता चलता है कि उनके पास न्यक्तिगत जीवन नामकी कोई स्थिति नहीं थी। उनका जीवन समाजसुधारके लिये सर्वात्मना समर्पित हो चुका था । असाधारण प्रतिभाशाली सभ्रान्त मनोवैज्ञानिक अक्लान्त कर्मवीर तेजस्वी, तपस्वी, सूक्ष्मदर्शी, ज्ञानावतार चाणक्य पण्डितका नाम भारतके घर-घरमें सुपरिचित है ! यही कारण है कि जैसे भारतमें कुशल वैद्यको धन्वन्तरि कहा जाता है इसी प्रकार ग्यवहारमें अतिकुशल व्यक्तिको चाणक्य उपनामसे विभूषित किया जाता है। भारत ही नहीं पाश्चात्य देशों के ज्ञानपिपासु विद्वानों ने भी चाणक्य--प्रचारित ज्ञान-सागरमेसे रत्न-भंडार लेकर अपने देशोंके राजनैतिक साहित्यको समृद्ध किया है और इस भारतीय प्रतिभाके प्रति कृतज्ञताके साथ श्रद्धांजलि अर्पण करनेमें कृपणता नहीं की है। भादर्श समाजरचना तथा आदर्श चरित्रनिर्माण दोनों एक दूसरेपर निर्भर करते हैं । इनपर एक साथ समान भावसे ध्यान देना अत्यावश्यक है । भादर्श समाज होनेपर ही राष्ट्रमें भादर्श चरित्र बनता है और मादर्श चरित्र होनेपर ही मादर्श समाजकी रचना होती है। मादर्श समाज ही मादर्श राजशक्ति पैदा कर सकता है। जिस देशमें भादर्श समाज नहीं होता वहां भादर्श राजशक्ति पैदा हो ही नहीं सकती। आदर्श राजशक्तिके बिना समाज आदर्श समाज बना नहीं रह सकता। अवैध भोगोंसे बचे रहना ही मानव-जीवनकी विशेषता है और यही मानव-जीवनका आदर्श भी है । भादर्श राजा ही आदर्श समाजका सेवक तथा संरक्षक हो सकता है । मादर्श समाज तथा आदर्श राजा दोनों अनि. वार्य रूपमें एक दुसरेके पूरक अनन्य प्रेमी तथा श्रद्धालु होते हैं। कोई भी पतित राजा मादर्श समाजपर शासन नहीं कर सकता। जहां पतित
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy