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________________ परिशिष्ट प्रसंगोचित आलोचना चाणक्य सूत्रोंका ऐतिहासिक आधार तथा चाणक्यकी प्रतिभाको विकसित करनेवाली भारतीय तथा वैदेशिक परिस्थिति___ जब ईसासे पूर्व चौथी शताब्दिमें पहले तो यूनान के राजा सिकन्दरने तथा उसके पश्चात् सेल्यूकसने भारत के उस समयके देशद्रोहियोंकी सहायतासे मारतपर आक्रमण किया था तब पश्चिमोत्तर भारतके कुछ देशप्रेमी वीरोंने न केवल इन दोनों आक्रामकों को बुरी तरह पीट कर भगाया था और देशद्रोहियों को मिटाया था। प्रत्युत अगणित खंडों में बंटकर अपने अपने राज्योंको अपनी अपनी भोगेच्छामूलक संगठित लटका क्षेत्र बनाकर रखने. वाले तथा परस्पर कलह करने में लगे हुए भारतीय गणराज्यों को आजसे दुगने विस्तृत ही नहीं किन्तु सुसंगठित साम्राज्यका रूप देकर उसे संसार भर की दृष्टि में एक ऐसा अजेय राष्ट्र बना डाला था कि भविष्य में शताब्दियों तक भारतपर वैदेशिक मणकी संभावना कमला रही थी। उस समय भारतीय स्वाभिमान की रक्षा करने का साम्राजकी आधारशिला पश्चिमोत्तर भारतीय वायाँक ही हाथों रकधी राइ था। २१६ t. त्तर भारतके दशप्रेमी हीरोन संमा लोगोंपर भारत की वीरता ऐमी छाप लगा दी थी कि फिर किया भी विदेशी बहुत दिक भारतकी ओर लालच भरी दृष्टि से देने का साल नहीं खाया।
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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