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________________ भूमिका है या लेंगे। निराशाका कोई कारण नहीं है, काल अनन्त है, पृथ्वी भति विस्तीर्ण है । कभी कहीं कोई तो हमारी बात सुनेगा ही। चाणक्यके ग्रन्थ १- घुचाणक्य १०८ श्लोक, २- वृद्धचाणक्य २५० श्लोक, ३- चाणक्य नीतिदर्पण ३४८ श्लोक, ४- चाणक्य राजनीतिशास्त्र प्रायः १००० श्लोक, ५- कौटलीय अर्थशान ६००० श्लोक परिमाणप्रन्थ, ६- चाणक्यसूत्र ५७। सूत्र । चाणक्यसूत्रोंकी प्रामाणिकताके संबन्धमेंइस व्याख्यामें १९१९ ई० में मैसूर विश्वविद्यालयसे प्रकाशित कोट. लीय अर्थशास्त्र के अन्तमें मुद्रित सूत्रों में कई अपार्थक सूत्रों के होते हुए भी उन्हीके सबसे अधिक प्रचारित होने के कारण उन्हीं की ५७१ संख्याको प्रामा. णिक मान लिया गया है। इसमें अन्यत्र उपलब्ध सूत्रान्तर तथा पाठान्त. रोका भी पूर्ण संकलन किया है। इस टीकामें मैसर मुद्रित ५७१ सत्रोंसे ४६ सूत्र अधिक हैं। उपलब्ध पाठभेद भी सब दिये हैं जो लगभग २५७ हैं। पाठभेद सुभीतेकी दृष्टिसे कहीं तो कोठकों में तथा कहीं पाठान्तर शब्द के साथ दिये गये हैं। बहुतसे पाठान्तर मूल सूत्रों से अधिक युक्तिसंगत हैं। कहीं कहीं मूल सत्र अपार्थक प्रतीत हो रहे हैं और पाठान्तर उचित है । हुन सब तथ्योंका उल्लेख टीकामें यथास्थान किया गया है। ५६ मधिक सूत्री तथा महत्वपूर्ण पाठभेदोंकी व्याख्या की गई है । साधारण पाठभेद अन्याख्यात छोड दिये गये हैं । मधिक सूत्रों तथा पाठान्त. रोंको स्वतंत्र संख्या न देकर ५७१ संख्या ही अन्तर्युक्त कर दिया गया है। यह इस दृष्टि से किया गया है कि पाठकों को प्रचलित सूत्रसंख्यानुसार सूत्र ढूंढने में कठिनाई न हो। ये अधिक सूत्र तथा पाठ भेद श्री ५. ईश्वरचन्द्र शर्मा शास्त्री, वेदान्तभूषणके १९३१ में कलकत्सेसे मुद्रित संस्कृत व्याख्या युक्त चाणक्यसूत्रोंसे लिये गये हैं।
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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