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________________ १२२ <l है । Reetबलमारंभो निदानं क्षयसम्पदः उठाना विनाशका मूलकारण होता है । "" चाणक्यसूत्राणि शक्ति से बाहर कामका बोझ ( सभा में व्यक्तिगत कटाक्ष हानिकारक ) यः संसदि परदोषं शंसति स स्वदोषबहुत्वं प्रख्यापयति ॥ १४७ ॥ जो राजसभा में दोषालोचनका प्रसंग होनेपर भी आलोच्य प्रसंगसे बाहर जाकर अपने व्यक्तिगत शत्रुकी दोपालोचना करने लगता है, वह स्वयं अपनेको अपराधी घोषित कर देता है । विवरण -- राजसभायें सार्वजनिक कल्याणकी भावनासे कर्तव्य निर्णय किया जाता है । वह स्थान इसी प्रयोजनके लिये होता है । उसमें सम्मि लिन होनेवाले राष्ट्रसेवकोंकी योग्यता इसीमें मानी जाती है कि वे राष्ट्रके किसी व्यक्तिके प्रति अपनी व्यक्तिगत शत्रुताको हृदयमें स्थान न देकर सार्वजनिक कल्याणकी भावनासे राजतन्त्रका परिचालन करें, और इसके लिये कर्तव्यका निर्णय करनेमें अपनी विचारशक्तिको उपयोग में लाकर न्यायको ही सर्वोपरि स्थान देकर राज्यतन्त्र में सहयोग दें । इस आदर्शको उपेक्षित करके अपने अधिकारका दुरुपयोग करनेवाले व्यक्ति राज्यतन्त्र में सहयोग देने के अयोग्य राष्ट्रद्रोह नामक अपराधके अपराधी बन जाते हैं । जो सभामें किसी व्यक्ति के पक्षका खंडन न करके, उसके कार्यों के दोष तथा उसके दुष्परिणामोंपर प्रकाश न डालकर, उसके व्यक्तिगत दोष दिखाने या व्यक्तिगत आक्रमण करनेपर उत्तरमाता है, वह अपनेको सभामें किसी पक्ष के समर्थन के अयोग्य होने से सभामें भी सम्मिलित होने तथा सभाको किसी यथार्थ निर्णयपर पहुंचानेके अयोग्य घोषित करदेता है । समामें दोषी व्यक्ति या सदोष पक्ष के प्रतिनिधिपर व्यक्तिगत आक्रमणन करके, उसके कार्यों की सदोषता तथा उससे होनेवाले दुष्परिणाम सप्रमाण दिखा कर सभाकी सभ्य भाषामें उन्हींकी पूर्ण भर्त्सना करनी चाहिये । सभा में
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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