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________________ [ १४ ] आपकी इच्छा के विरुद्ध आपको विवाह बन्धन में जकड़ ही दिया गया। छोटे भाई बिमलकुमार व बहिन लक्ष्मीबाई का तो इस अवसर पर हर्षित होना स्वाभाविक ही था। परन्तु आप थे कि गृहस्थी से बिल्कुल उदास । जल में कमल की भांति। शास्त्री मनोहरलालः धारणा शक्ति तो बहुत तीक्ष्ण श्री ही जिस बात को सुनते बहुत शीघ्र ही धारण कर लेते । १५, १६, १७ वर्ष की अवस्था में ही शास्त्री (जैन परीक्षायें) पास की। न्यायतीर्थ मनोहरलालः-. बुद्धि के बड़े तीक्ष्ण थे। १७ वर्ष की अवस्था में न्यायतीर्थ (सरकारी परीक्षा) में उत्तीर्ण हुए। इस छोटी से वय में विशाल ज्ञान प्राप्त करने का कारण आपके ज्ञानावरण कर्म का क्षयोपशम तो हैही परन्तु आपकी गुरु भक्ति भी बहुत अंशो में निमित्त कारण बनी। आपके गुरु पूज्य श्री महावर्णी जी के प्रति आपका ऐसा भक्तिपूर्ण व प्रेममय व्यवहार है कि अन्यत्र दृष्टिगोचर नहीं होता ? पंडित मनोहरलाल :__इसके बाद आपने संस्कृत विद्यालय में संस्कृत अध्यापक का कार्य किया? चाहे थोड़े समय के लिये पढ़ाते थे परन्तु पूरे तन मन से । परीक्षा फल ६० फ्री सदी के लगभग रहता । पढ़ाने में
SR No.009899
Book TitleAtma Sambodhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManohar Maharaj
PublisherSahajanand Satsang Seva Samiti
Publication Year1955
Total Pages334
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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