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________________ [ १३ ] हुये भी परीक्षाओं में प्रथम ही रहा करते थे। एक बारपरीक्षा में प्रथम आने पर प्रधानाध्यापक जी ने प्रसन्न होकर पूजा तुम क्या चाहते हो? उत्तर देते हैं 'मुझे खेल कूद से कोई रोके नहीं। संगीत का विशेष शौक था। हारमोनियम खरीदा। बजाना सीख गये। एक दिन गुरू जी ने देख लिया। डर से हारमोनियम वेचना पड़ा। बांसुरी लेली, उसका अभ्यास किया। संगीत की ओर तो रुचि अव भी इतनी है कि एक दिन सामायिक करते समय बैंड की मधुर ध्वनि ने आपका ध्यान आकर्पित कर ही लिया। विचारने लगे मानों मैं किसी तीर्थकर के सभा-स्थल (समवशरण) में बैठा हूँ। देवगण वादित्र बजाते हुए पा रहे हैं ।' उस दृश्य से इतने प्रभावित हुए कि आंखों से हाथ को घाग बहने लगी। प्रारम्भ से ही परिणामों में विरक्ता थी। विपय भोगों की ओर बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। विद्यालय में विवाह से पूर्ण जब लड़के आपसे पूछते आपकी सगाई हो गई तो आप कोने में जा बैठते । सगाई की बात गालो सी मालम होती। आप १४ वर्ष के थे। विद्यालय की छुट्टियों में आपका विवाह होना निश्चित हुआ । परन्तु आपकी विवाह की इच्छा न थी। माता जो को पत्र लिखा जिसमें संसार की भसारता दिखाई । विवाह न करने का अनुरोध किया। छुट्टी हुई, आपके चाचा आये। मां को बीमारी का बहाना करके आपको घर ले गये और
SR No.009899
Book TitleAtma Sambodhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManohar Maharaj
PublisherSahajanand Satsang Seva Samiti
Publication Year1955
Total Pages334
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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