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________________ प्रथम परिच्छेद || (२५) एक भी रूप गत नहीं है, इसलिये अन्त्य पांच को ही नष्ट स्थान में लिखना चाहिये, इसके पश्चात् तीसरी पंक्ति में शेष द्विक में परिवर्त दो का भाग देने पर लब्ध एक आया तथा शून्य शेष रहा, इस लिये लब्ध में से एक घटा दिया तो लब्ध के स्थान में भी शून्य हो गया, इस लिये तीसरी पंक्ति में एक भी रूप गत नहीं है इसलिये पांच को चौथी पंक्तिमें रख चुके हैं, यदि उस को फिर रक्खें तो समयभेद [१] हो जावेगा; इसलिये उसे (२) छोड़ कर अन्त्य अंक चार को ही रखना चाहिये, शेष दो और एक को उत्क्रम से [३] रखना चाहिये, जैसे २१४५३ यह पचासवां रूप है । अब पांचवां उदाहरण दिया जाता है - देखो ! पैंसठवां रूप नष्ट है, इस लिये पैंसठ में अन्य परिवर्तका (४) भाग देनेपर लब्धांक दो हुए, इसलिये पांच और चार ये दो अंक गये; उन से अगले त्रिक को नष्ट स्थान में लिखना चाहिये; शेष सत्रह में चौथी पंक्ति के परिवर्त (५) का भाग देनेपर लब्ध दो हुए; इसलिये यहां पर पांच और चार दो अंक गये उन से अगले त्रिक को यदि रक्खा जावे तो समय भेद (६) हो जावेगा; इसलिये उसे छोड़कर डिक की रखना चाहिये, शेष पांच में तीसरी पंक्ति के परिवर्त का (9) भाग देनेपर लब्ध दो हुए; तथा एक शेष रहा; इस में भी पांच और चार दो गये, उन से अगले तीन और दो की यदि स्थापना की जावे तो समय भेद होगा, इसलिये उन दोनों को (८) छोड़ कर एक को रखना चाहिये, तथा एक शेष रहने से शेष दो अंकों को क्रम से रखना चाहिये जैसे - ४५१२३ यह पैंसठवां रूप है । तथा छठा उदाहरण यह है कि सातवां रूप नष्ट है, अब यहां पर सातमें अन्त्य परिवर्त २४ का भाग नहीं लग सकता है; इस लिये इसमें एक भी रूप गत नहीं है; इसलिये पांच को ही रखना चाहिये; इसके पीछे सात में चौथी पंक्ति के परिवर्त छः का भाग देने पर लब्ध एक छाया और शेष भी एक रहा, इसलिये वहां पर एक प्रन्त्य अंक गया परन्तु " नट्ठद्दिट्ठ विहाणे, इत्यादि वक्ष्यमाण (९) गाथा के द्वारा वह वर्जित [१०] है; इसलिये पांचवीं पंक्ति में स्थित पांचगत के बीच में नहीं गिना जाता में १-सदृश अङ्कोंकी स्थापना || २-पांच को ॥ ३-क्रम को छोड़कर ।। ४- चौबीस का ।। ५-छः का ।। ६-सदृश अङ्कों की स्थापना ।। ७ दो का ॥ ८-तीन और दो को ॥ १- जिसका कथन आगे किया जावेगा ।। १०- निषिद्ध ।। ३ Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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