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________________ प्रथम परिच्छेद || ( १३ ) का भाग दिया तो लब्धांक ४०३२० हुआ, इस लिये नवीं पंक्ति में यह परिवर्त्ती जानना चाहिये, तात्पर्य यह है कि इस पंक्ति में इतनी २ बार नौ, आठ और सात श्रीदि पद नीचे २ रक्खे जाने चाहियें, इस के पश्चात् लब्धांक ४०३२० में शेष ८ का भाग दिया जाता है तो लब्धांक ५०४० होता है, यह आठवीं पंक्ति में परिवर्त है, इस में शेष सात का भाग देने पर लब्धांक ७२० होता है, इस लिये सातवीं पंक्ति में यह परिवर्त्त है तथा इस में पूर्व के समान शेष छः का भाग देने पर लब्धांक १२० हुआ, यह छठी पंक्ति में परिवर्त है, उस में ५ का भाग देने पर लब्धांक २४ हुआ, यह पंचम पंक्ति में परिवर्त है, इस में ४ का भाग देने पर लब्धांक ६ हुआ, यह चौथी पंक्ति में परिवर्त है, इस में ३ का भाग देने पर लब्धांक दो हुआ, यह तीसरी पंक्ति में परिवर्त है, इस में दो का भाग देने पर लब्धांक एक हुआ, यह दूसरी पंक्ति में परिवर्त है, उस में भी एक का भाग देने पर लब्धांक एक हुआ, यह प्रथम पंक्ति में परिवर्त है ॥ १ ॥ मूलम् — पुब्वगणभंगसंखा हवा उत्तरगांमि परिवहो । नियनियसंखा नियनिय, गणतंण भत्ता वा ॥ १० ॥ संस्कृतम् -- पूर्वगणभंगसंख्या अथवा उत्तरगणे परिवर्त्तः ॥ निज निजसंख्या निजनिजarraine भक्का वा ॥ १० ॥ भाषार्थ – अथवा पूर्व गण की जो भंगसंख्या है वह उत्तर गण में परिवर्त होता है, अथवा निज २ संख्या में निज २ गण के अन्त्ये अंक का भाग देने से परिवर्त होता है ॥ १० ॥ १- आदि शब्द से छः आदि को जानना चाहिये ॥ २ - पिबले । Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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