SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ षष्ठ परिच्छेद ॥ (२३५) "मुत्कार” अर्थात् मानन्द क्रिया जिन की; उन : “पञ्चनमुत्कार” कहते (१) है; वे कौन हैं कि-"ईश” अर्थात् महादेव; क्योंकि महादेव सृष्टि का संहार (२) करते हैं, इस व्यत्पत्ति के द्वारा “पञ्चणमोक्कार” शब्द ईश का वाचक होता है, इसलिथे उसके जप और ध्यानसे ईशित्त्व सिद्धि की प्राप्ति होती है। (ख)-यहां पर प्रसङ्गानुसार (३) यदि “पञ्च” शब्दसे पांचों परमेष्ठियों का भी ग्रहण किया जावे ( क्योंकि महन आदि पांच परमेष्ठी कहे जाते हैं। तथा उन्हीं को पूर्व नमस्कार किया गया है ); तथापि 'पञ्च” पद से उपात्त (४) परमेष्ठी पद से ( तन्मतानुसार ) ब्रह्मा का बोध हो सकता है; अर्थात् परमेष्टी शब्द ब्रह्मा का वाचक है (५), उन की ( सृष्टिरूप) क्रिया को विषय में "न” अर्थात् नहीं है “मुत्कार" (आनन्द क्रिया ) जिन को इत्यादि शेष अर्थ “क” धारा के अनुसार जान लेना चाहिये। (ग) पञ्च शब्द से कामदेव के पांच वारणों का ग्रहण हो सकता है, कामदेव के पांच वाण ये कहे गये हैं: द्रवणं शोषणं वाणं, तापनं मोहनाभिधम् । उन्मादनच कामस्य, वाणाः पञ्च प्रकीर्तिताः ॥ १ ॥ अर्थात् द्रवण, शोषण, तापन, मोहन और उन्मादन, ये कामदेव के पांच वाण कहे गये हैं ॥१॥ अथला अरविन्दमशोकञ्च,चूतच नवमल्लिका । नीलोत्पलञ्च पञ्चैते, पञ्चत्राणस्य सायकाः ॥ १॥ अर्थात् लाल कमल, अशोक, श्राम, नवमल्लिका और नील कमल, ये पञ्चवाण अर्थात् कामदेव के पांच वाण हैं ॥१॥ उन पांच वाणों को जिन के विषय के "मुत्कार" (६) अर्थात् आनन्द करने का अवसर “न” अर्थात् नहीं प्राप्त हुआ है। ऐसे कौन हैं कि ईश (शिव जी ), ( क्योंकि कामदेव अपने वाणों का ईश पर कुछ प्रभाव नहीं १-इस व्युत्पत्ति में नकार का लोप तथा "मुत्कार" शब्द का “ मोकार बनना प्राकृत शैली से जानना चाहिये ॥२-विनाश ॥ ३-प्रसङ्ग के अनुसार । ४-ग्रहण किये हुए ॥ ५-कोषों को देखो ॥ ६-मुदः (आनन्दस्य ) कारःकरणमिति मुत्कारः ॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy