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________________ शीघ्र ही अपना नाम लिखवाकर मेरे उत्साह की वृद्धि करें, क्योंकि जिस प्रकार ग्राहकों को नामावलि संगृहीत होगी उसी प्रकार शीघ्र ही ग्रन्थ के मुद्रण का कार्य आरम्भ किया जायेगा। __ग्रन्थ के कुल फार्म लगभग ४०० होंगे अर्थात् समस्त ग्रन्थ की पृष्ठ संख्या अनुमान से ३१०० वा ३२०० होगी। ग्रन्थ तीन विभागों में प्रकाशित होगा, इसकी न्यौछावर लागत के अनुमान से ग्रन्थ के प्रचार और लोक के उपकार का विचार कर अल्प ही रक्खी गई है, जिसका क्रम निम्नलिखित है:संख्या विभागादि । पृष्ठ । पेशगी नाम लिखाने पीछे डाकव्य- विशेष | संख्या मूल्य वालों से । | यादि सूचना - १ प्रथम विभाग १३०० व १०० इकट्ठा लेनेपर २ द्वितीय विभाग ८०० ५]] ५॥ ६ रेलवे पा. र्सल सेभे. ३ तृतीय विभाग १००० ६५) Jus जा जावे गा। ४ । सम्पूर्ण ग्रन्थ । ३१००। १८ । २०) । २२ । + सूचना-ग्राहक महोदय यदि पेशगीमूल्य भेजें तो कृपया या तो सम्पूर्ण ग्रन्थ का भेजें अथवा केवल प्रथम विभाग का भेजें, द्वितीय तथा तृतीय विभाग का मूल्य अभी नहीं लिया जायेगा, जो महोदय पेशगी मूल्य भेजेंगे उनकी सेवा में छपी हुई रसीद द्रव्य प्राप्ति की भेजदी जावेगी, पेशगी मूल्य र माले सज्जनों को विभाग अथवा ग्रन्थ के तैयार होने तक धैर्य धारण करना पड़े, कि वर्तमान में सबही प्रेसों में कार्य की अधिकता हो रही है, हां अपनी ओर से यथाशक्य शीघ्रता के लिये चेष्टा की ही जावेगो। पांच अथवा पांच से अधिक ग्रन्थों के ग्राहकों को १० रुपया सैकड़ा कमी. शन भी दिया जावेगी। विद्वान्, साधु, महात्मा, मुनिराजों से तथा श्रावक जैन वन्धुवर्ग से निवेदन है कि इस ग्रन्थ रत्न के अवश्य ग्राहक बन कर मेरे परिश्रम को सफल करें, जो श्रीमान् श्रावक जन इस लोकोपकारी ग्रन्थ में आर्थिक सहायता प्रदान करेंगे वह धन्यवाद पूर्वक स्वीकृत की जावेगी तथा ग्रन्थ में उन महोदयों का नामधेय धन्य. वाद के सहित मुद्रित किया जावेगा। आश्विन शुक्ल संवत् १९७७ विक्रमीय । सज्जनों का कृपापात्र-जयदयाल शर्मा संस्कृत प्रधानाध्यापक श्रीडूंगर कालेज . बीकानेर Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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