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________________ अंक २] मेरुतुंगाचार्यनी स्थविरावली [१४३ पानामां शा कारणथी कालिकाचार्ये शक राजाओने दाखल कर्या तथा विक्रमादित्ये तेमने केवी रीते हांकी मूकी पोतानो संवत्सर स्थाप्यो ते बाबतनो खुलासो आप्या पछी नीचेनी बाबत उमेरेली छे; "विक्रम पछी १३५ वर्ष वीत्यां पछी शक लोकोए फरीथी विक्रमपुत्र (विक्रमनो पुत्र अगर वंशज ) ने हांकी काल्यो अमे तेनुं राज्य जीती लीधुं.' ___ चाउडा (चापोत्कट) वंशनी कालगणाना जे वनराजथी शरु थाय छे.ते कालगणना प्रबंधचिंतामणि तथा अन्य यादीओमां आपेली कालगणनाथी, राजाओना नाम संबंधी क्रम अने संख्या परत्वे तथा तेओना राज्यकालनी संख्या परत्वे, भिन्न पडे छे. आ उपरथी स्वाभाविक रीते एक एवो प्रश्न उभो थाय छे के थेरावलीना कर्ता मेरुतुंग ते प्रबन्धचिंतामणिना कर्ता जेमनु नाम पण मेरुतुंग छे, ते होय के नहि ? _आ स्थळे हुं प्रबन्धचिंतामणि, जिनमण्डनोपाध्यायकृत कुमारपाल प्रबन्ध, तथा एक ननामी पट्टावली उपरथी तारवी काढेलुं एक तुलनात्मक कोष्टक नीचे रजु करुं छु: मेरुतुंगनी प्रबन्ध- जिनमण्डनोपाध्याय- पट्टावली चिंतामाण कृत कुमारपाल प्रबंध. (नाम वगरनी) वनराज यागराज क्षेमराज ५५ १३ ६महीना - ६ महिना वैरिसिंह रत्नादित्य सामंतसिंह मूलराज चामुण्डराज वल्लभराज ६ महीना दुर्लभराज भीमराज ऊर्फे भीमदेव कर्णदेव नथी आप्यु जयसिंहदेव प्रतिना दोषने लइने ४९ कुमारपाल अजयदेव उर्फे अजय पाल मूलराज भीमदेव पादुका-राज (अराजक स्थिति) त्रिभुवनपाल वीसलदेव अजुनदेव सारंगदेव ४८-८-१० ३०-८-२७ ३-११-२८ २-१-२४ ६५-२-८ ....:: WWW ६ दिवस २ मास १२ दिवस १३-७-६२ २१-८-८ * एक प्रतिमां ५२ अने बीजीमां मूलनी माफक ळे. Aho! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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