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________________ अंक २ ] श्री महावीरनो समय - निर्णय [११९ मिति करतां, विश्वसनीय मितितरीके इ. स. पूर्वे ४७७ मुं वर्ष जो स्वीकारी शकाय तो तदनुसार बुद्धनो जन्म, अवसानसमये तेमनुं वय ८० वर्षनुं हतुं, तेथी इ. स. पूर्वे ५५७ मां थयो हशे अने आ विषयनी सघळी हकीकतोनुं आपणं एकज मूळ जे पालीग्रंथो छे ते एम जणावे छे के तेमणे २९ वर्षेनी ऊंमेर संन्यास ग्रहण कर्यो हतो तथा ३६ मा वर्षे बुद्धत्व मेळव्युं हतुं ते उपरथी आ छेली बीना जरूर इ. स. पूर्वे ५२० मां बनी हशे आ गणत्री-जे लगभग साची ज छे-ते अनुसार पटलं तो सुगम्य छे के जो महावीरनुं देहावसान, जे एक परंपरानुसार कछेवाय छे के इ. स. पूर्वे ५२७ मां थयुं हतुं, ए जो खरूं होय तो ते प्रमाणे तेओ अने तेमनो महान् प्रतिस्पर्धी बुद्ध बन्ने कोई पण वखते परस्पर मळी शक्या होय तेम मानी शकाय ज नहि, अने ते प्रमाणे पालिग्रंथोमां नातपुत्त अने तेमना अनुयायीओना संबंधमां करेला सघळा उल्लेखो कल्पनाजन्य अने कृत्रिमरीते बनावी लीघेली योजना रुपे ज ठरे. परंतु आम मानवु ते तो कोई पण दृष्टिए संगत होई नहि शके. आ ते आपणे जोई शक्या छीए के बुद्धनिर्वाणनी तारीख जो इ. स. पूर्वे ४७७ वर्षनी होय - अने आम होवामां कांई शंका नथी - तो महावीर निर्वाणनी इ. स. ५२७ नी तारीख यथार्थ होय ए शक्य ज नथी. आ महावीर नीर्षाणिनी उपरोक्त तारीख जे एवी गणतरी उपर अस्तित्वमां आवेली के तेओ विक्रम पूर्वे ४७० वर्षे निर्वाण पाम्या हता, तेनो पायो मजबूत नथी, तेटला माटे आपणे निःसंदेहे रीते आ मितिनो अस्वीकार ज करवो जाइए. अने तेने बदले कालगणनात्मक बधी गणत्रीओनी साथे बंधबेस तेवी बीजी मिति शोधी काढवा प्रयत्न करवो जोईए. आ प्रकारनी मिति डॉ. जेकोबीए 91 घणा वर्ष पूर्वे सूचवी दीघेली होवाथी मारूं कर्तव्य मात्र तेमनी दलीलोनुं महत्व बताववानुं तथा तेने केटलाक नवा हेतुओ द्वारा मजबूत करवानुं छे, एम हुं मांनू छं. ३. हेमचन्द्रनी जैन परंपरा अने महावीरनो सत्य समय. जैन ग्रन्थकारोमां सौथी महान् मनाता हेमवन्द्रे ( इ. स. १०८८-११७० ) पोताना स्थवि - रावली चरित - जे साधारण रीते परिशिष्टपर्वने नाम ओळखाय छे-तेमां बिंबिसारथी मांडीने अशोकना पौत्र अने तेना उत्तराधिकारी सम्प्रतिना वच्चेना काळनो एक प्रकारनो इतिहास आपेलो छे. आ ग्रंथ जे घणे स्थळे मात्र एक मनःकल्पित अने पौराणिक ऐतिहासिक नोंध जेवो जणाय छे ते तेमणे पोताना धर्मप्रवर्तकोना पुराण-वर्णनना एक परिशिष्ट रुपे लखेलो छे. परंतु मारी खातरी थई छे के आ नोंध जो के केटलेक स्थळे गुंचवाडा भरेली तथा पौराणिक लागे छे, छतां पण तेमां अहीं तहीं केटलीक साची अने ऐतिहासिक बाबतो सूचित थपली छे. अने आ ऐतिहासिक बाबतो महावीरनो समय निर्णय करवामां उपयोगी थाय तेम छे. जेनो समय ४९९-५६९ छ-ते एम जणावे छे के तेनी एक कृति बुद्ध पछी २६५ मां वर्षे समाप्त थई हती. (पेरि. 1. c. p. 361 ). हवे जे परंपरा जणावे छे के अशोक बुद्धनिर्वाण पछी २२० वर्षे थयो हतो तथा ते शी- हांगति (इ. स. पूर्व २४६-२१०) नो समकालनि हतो ते परंपरानुसार बुद्धनिर्वाणनो समय इ. स. पूर्वे ४९६ (२४६ + .२५०) मां मुकाय. मि. वि. गोपाल ऐय्यरे, इंडि. एन्टी. ३७, ३४१ मां जणावेलां कारणोना संबंधमां एटलं जणाववुं बस थशे के ते सर्व दलीलो सहसाराम आज्ञामां आवता २५६ नी गरसमजुती उपर अवलंबित होवाथी तेमज सिलोनना इतिहासग्रंथोमां आपली मितिओने सर्वथा अविवेकपणे कबुल राखीने, उभी करवामां आवेली होवाथी. साची नथी. 91. कल्पसूत्र, पृ. ८ अने ते पछीनां. Aho ! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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