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________________ अंक २] श्री महावीरनो समय - निर्णय [१०९ कारण के अशोक पोताना आध्यात्मिक गुरुने 'व्युथ'ना नामथी दर्शावे ते असंभवित लागे छे. वळी, आ विशेषण तेणे अन्य कोई स्थळे वापर्यु नथी; लुंबिनी स्तंभ उपर ते बुद्ध, शाक्यमुनि अने भगवन्त एवां गुणनामो बापरे छे. आथी कालगणनानी दृष्टिए ते सूचनानुं बलिकुल महत्त्व रतुं नथी. माँ० सेनार्डे घणा वखत पहेलां जणान्युं हतुं के कालगणनानी शरुआतनुं केन्द्र १३ मी खडक उपरनी आज्ञामां छे, कारण के ते स्थळे अशोक अंतियोक 58 नामना योनराजा अने तेना राज्यनी पार तुरमय, अंतिकिन, मक अने अलिक खुदरनो उल्लेख करे छे. आ मतने हुं अनुसरं छं. लॅसने ( Ind. Alt II, 254) अगांउ ज सूचवी दधुं हतुं के आ राजाओ अनुक्रमे नचैिना राजाओ छे:-सीरीआनो राजा थीओस, एन्टिओकोस बाजो (२६१-२४६इ. स. पूर्वे), जीतो बाजो टोलेमेइओस ( मृत्यु २४७ इ. स. पूर्वे), मेसेडोनिआनो आन्टिगोनोस गोनटस ( मृत्यु, इ. स. पूर्वे २३९ ), सिरीननो मगस ( मृत्यु, २५८ इ. स. पूर्वे ); अने एपिरसने अलेकझेन्डर ( मृत्यु २५८. इ. स. पूर्वे ) ५ हवे खडक उपरनी आज्ञाओ अशोकना अभिषेकने १२ वर्ष थयां हृतां त्यारे पटले के तेना अभिषेकना १३ मा वर्षमां प्रसिद्ध थई हती. ए. विषमां ही सुश्री कोईने पण शंका थई नथी; तेम ज थाय तेम पण नथी के, ए १३ मी आज्ञामां जे पांच राजाओनो निर्देश करेलो छे ते सघळा, ते वखते हयात न हता. कारण के अशोके दरेक राजा पासे पोसामा धर्मप्रवर्तकोने मोकल्या हता. अने आ उपरथी ए सहज समजी शकाय तेम छे के तेओनी साथे ते गाढ संबंध धराचतो होवो जोईए. अने तेथी करीने इ. स. पूर्वे २५८ वर्ष पछी एक या वे वर्षो बाद जे तेओमांना बे राजा गुजरी गया हता ते एनी मां न आवे एम मानवुं अशक्य छे. कारण के आ बेमांनो एक तो (मगस) टोलेमेइओस ( Ptolemaios ) नो एक निकटनो सगो हतो अने टोलेमेइओस ए अशोकना वखतनो एक घणो ज बळवान राजा हतो जेणे बिंदुसारना दरबारमां अने खुद अशोकना दरबारमां पण पोतानो दिओनिसीओस ( Dionysios ) नामनो एलची मोकल्यो हतो. 59 आटला माटे अशोकनुं तेरमुं वर्ष एन्टिओकस थीओस (Antiochos Theos ) ना राज्यधिरोहणना इ. स. पूर्वे २६१ मा वर्ष पछी अने मगसना अवसान तथा प्रायः अलेकझान्डरना मरणनी पूर्वे - जो मा छेलो राजा आ करतां वधारे वहेलो न गुजरी गयो होय- एटले इ. स. पूर्वे २५८ मा वर्ष पहेलां आवकुं जोईए. जो ए प्रमाणे आ तेरमुं वर्ष इ. स. पूर्वे २६० - २५८ नी वचमां आवे तो तेनो अभिषेकनो समय इ. स. पूर्वे २७२-२७० मां पडे. अने सघळी बौद्ध परंपराओना एकमते अशोक पोताना अभिषेक पहेलां चार वर्षे राजा बन्यो हतो ते उपरथी तेनो पिता बिन्दुसार इ. स. पूर्वे २७६ अने २७८ नी वचमां गुजरी गयो हशे. उपरोक्त गणत्री तत्कालीन स्मरणस्तंभादिना अखंडनीय आधार उपर तैयार करवामां आवी छे. परंतु बौद्ध इतिहास ग्रन्थो एम जणावे छे के बुद्ध पछी २१८ मां वर्षमां अशोक पोताना ९९ माईओने 60 मारी नाखीने राज्याभिषिक्त थयो हतो. आ कथन जो विश्वासपात्र लेखाय तो बुद्धनुं निर्वाण इ. स. पूर्वे ४८९-४८७ नी वचमां नक्की थयुं मानवुं जोईए. पण आ कथन 58. सरखावा, खडक उपरनी आज्ञा बीजी. अहींयां पण तेज राजाओनी मतलब छे. 59. सरखावा, व्ही. ए स्मीथ, Early History, P. 139. 60. आ हकीकत खडक - आज्ञा नं. ५ थी खोटी पडे छे कारण के आ आज्ञामां अशोक पोताना भाई ओना निर्देश कर्यो छे. आ बाबत माँसेनार्ट शोधी काढी हती. ( Ind Ant XX 259 ) ३ , Aho ! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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