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________________ १०.] जैन साहित्य संशोधक [खंड २ आधार हशे ज; तथा वार्तानुं 26 सघळं रूप जोईने हुं धारूं छं के, ओएमा कडफीस्से करेली हिंदना उत्तरपश्चिम भागनी जीत विषे ते कहे छे, ए असंभावित छे. कारण के ते वार्तामां शकसत्रो अने कोईक ग्रीक (?) राजा ( गर्दभिल्ल) वच्चेनी लडाई जे पाछळथी उज्जयिनीनी सामान्य लौकिक वाती थई तेनी आछी स्मृति ज हशे एम लागे छे. इ. स. पूर्वे प्रथम सैकामां जे शक राजाओ थया तेनो पूर्ण अहेवाल डफ साहेबनी क्रॉनोलॉजी ऑफ इंडिआ, पा.१७मां आपलो छ, अने ते अहेवालथी मारी सूचना निर्बळ थती नथी. चढाई करनारा अरबस्तानी हता तथा साहाणुसाहिनो अर्थ 'राजाधिराज' थाय ए कल्पनाने टेको अपाय तेम नथी. कारण के ते एम स्पष्टताथी कहेलुं छे के चढाई करनारा शक हता, नहि के आरबी अगर बॅक्टेरीअन. 'शाओनानो शाओ' पद जे आ वार्ताना 'साहाणु साहि' मां हुं जोऊ छु तेना विषे मारे कहेवू जोईए के ते कनिष्क पहेलांना सिकाओ पी; परतु आ खास महत्वन नथी, कारण के एम जणाय छे के ए वार्ता घणा अर्वाचीन समयमां उत्पन्न थई; अने ते समयमा पहेलांना शको अने कुशानो वच्चे गुंचवाडो थई शके ते सहज छे. परंतु ए वार्तामां शक वंशनां झीणां झीणां स्मरणो जाळवी राखवामां आव्यां छे, ते उपरथी एम सिद्ध थाय छे के ए वार्ता तद्दन नकामी नथी. आ चर्चाथी हुं बताववा मागु छ के उपरोक्त श्लोकोमा आपेली वंशवार यादी जेना उपर जैन लोको महावीरना मरण अने विक्रमसंवत्ना आरंभनी वच्चेनां ४७० वर्षना समयनो आधार राखे छे ते लगभग तद्दन नकामी छे. आ समय भरवा माटे क्रमवार करेली राजाओनी श्रेणी तद्दन बिन ऐतिहासिक छ, अने तेथी तेना उपर आधार राखी शकाय तेम नथीकारण के तेमां निर्वाण पछीनां ६० वर्षोमां उज्जैननो एक राजा थयो, एम कहेलुं छे, पण ते राजाने महावीरनी साथे कोई पण संबंध नथी. उपरोक्त यादीमां तेनुं नाम केम दाखल थयुं ते माटे में उपर प्रमाणे कारणो शोधवा प्रयत्न कर्यो छे. बाकीनां २९३ वर्षोमां मगधना वंशोनो समावेश करेलो छ, जेनी ऐतिहासिकता विषे कोई पण जातनो शक नथी. आ उपरथी एम स्पष्ट जणाय छे के प्रथम आ यादीमां मगधना राजाओने ज मूकवाना हशे, केजे वात स्वाभाविक रीते आप. णने पण इष्ट छे. कारण के महावीरे लगभग पोतानी आखी जींदगी ए ज देशमां तथा विबिसार अने अजातशत्रु राजाओना गाढ संबंधमां गाळी हती. विक्रम पहेलांनां ११७ वर्षमा जे जूदा जूदा भागना राजाओनां नामो भी छे, तेना विषे आपणे एटलुंजकही शकीए छीए के ते राजाओनो मगध साथे काई पण संबंध हतो नहि., . उपरोक्त विवेचनथी जणाशे के जैनोना जे कथन प्रमाणे महावीर विक्रम पहला ४७० वर्षे, अगर इ. स. पूर्वे ५२७ मां थया ते कथनने मात्र कल्पनामय ज आधार छे, अने तेथी अविश्वसनीय छे. हवे हुं मारी तपासना बीजा भाग उपर आवीश अने एमां बतावीश के उपरोक्त कथन निश्चित करेली बौद्ध मीतिओ साथे पण असंबद्ध छे, अने तेथी सर्वथा तेनो त्याग करवो जोईए. २. महावीर अने जैनो साथे बौद्धोनो संबंध-बुद्धनो निर्वाण-समय. जेकोबी अने बुल्हरे ऊहापोह करीने स्पष्ट कर्यु छ के बौद्ध अने जैन आगमोमां घणाखरा एकना एक ज माणसोनां नामो आवे छे-मात्र केटलीक जग्याए ज तेमने माटे जुदां जुदां नामो वापरवामां आव्यां छे. आ उपरथी उपरोक्त विद्वान् महाशयो ए निर्णय उपर आव्या छे के बुद्ध 26. कालकनी वार्तामा साहाणसाहि हिंद उपर चढाइ करतो नथी पण तेना साहिओ तेना क्रोधथी नासी छुटवाने चढाइ करे छे. Aho! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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