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________________ जैन साहित्य संशोधक [ भाग १ कुमारपाल प्रतिबोधनी प्रशस्ति तथा बीजा ग्रंथोक्त उल्लेख उपरथी सोमप्रभाचार्यनी गुरुपरंपरादिनो वंशवृक्ष नीचे प्रमाणे थाय छे:-- सर्वदेवसूर ५८ यशोभद्र मुनिचंद्र ' अजितदेव विजयसिंहै रत्नप्रभ भद्रेश्वर हेमचंद्र सोमप्रभ जगचंद्र मानदव वादीदेवसूर गुणचंद्र पूर्णदेव मणिरत्न रामचंद्र ७ ७ महेश्वर Aho ! Shrutgyanam नेमिचंद्र आनंदसूर जयप्रभ जयप्रभ जयमंगल सोमचंद्र • १ उपदेशपद, अनेकान्तजयपताका, ललितविस्तरा, दिना प्रसिद्ध लेखक. योगबिंदु आदि हरिभद्राचार्यरचित ग्रंथो उपर टीका-टिप्पणा२ स्याद्वादरत्नाकर नामक महान् जैनतर्कग्रन्धना प्रणेता. ३. धर्मसागरगणिए पोतानी पट्टावलीमां आ विजय सिंहने, बालचंद्ररचित विवेकम जरीवृत्तिना संशोधक ( ' श्रीविजयसिंहसूरिः--विवेकमञ्जरी शुद्धिरुत् । ' ) लख्या छे परंतु ते भूल छे. ते वृत्तिना संशोधक आ विजयसिंह नथी, परंतु नागेंद्र गच्छना विजयसेनसूरि छे. जुओ पीटर्सननो ३ जो रीपोर्ट पृ. १०३. आ विजयसिंहनो एक शिलालेख आरासणना जैनमंदिरमांथी मळी आव्यो छे, जे संवत् १२०६ नी सालनो छे. जुओ मारुं प्राचीन जैनलेखसंग्रह नामनुं पुस्तक, लेख नंबर २८९. ४. रत्नप्रभे रत्नाकरावतारिका नामे सुज्ञात तर्कप्रन्थ बनाव्यो छे. उपदेशमालावृत्ति आदि बीजा पण एमना केटलाक प्रसिद्ध ग्रंथो उपलब्ध छे. रामभद्र १० ५. भद्रेश्वरे वादी देवसूरिने स्याद्वादरत्नाकर ग्रंथ रचवामां मुख्य सहायता करी हती. तथा पोताना गुरुना अवसान पछी तेमनी गादीना मुख्य आचार्य ए पातेज नीमाया हता. ६. गुणचंद्र हैमविभ्रमनामे व्याकरणविषयक एक लघु ग्रंथ बनाव्यो छे. ७. जालोरना एक शिलालेखमां आ बन्ने गुरु-शिष्यनो उल्लेख करेलो छे. ८. सुधाटेकरी ( मारवाड ) उपर आवेली चाचिगदेवनी प्रशस्तिना कर्तों. ९ वृत्तरत्नाकरनी वृत्तिकरनार, प्रबुद्धरोहिणेय नाटकना रचनार,
SR No.009877
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages274
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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