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________________ तिथ्यादिध्रुवाधिकारः। संवत् शाक विधिःकृतयुगाम्बर वहिभिरुज्झितो गतकालः किल विक्रमवत्सरः। शरहुताशनचन्द्र वियोजिते भवति शाक इह क्षितिमण्डले ॥३॥ सं०टी०-गतकलिमध्ये कृतयुगाम्बरवह्निभिरुज्झिते सति श्रीमविक्रमादित्यसम्वत्सरो भवति तस्मिन् वत्सर मध्ये शरहुताशनचन्द्र वियोजिते विगते सति इह क्षितिमण्डले भूमण्डले शालिवाहनीयः शाको भवतीति नियमः ॥ ३ ॥ ___ भा० टी०-गतकलि में ३०४४ घटाने से विक्रमसंवत्सर होता है। और विक्रम संवत्सर में १३५ घटाने से इस भूमण्डल में शाका होता है ॥३॥ उदाहरण-गतकाल ५०१२ में ३०४४ घटाया तो विक्रम संवत् १९६८ हुआ। इस सम्वत् १९६८ में १३५ घटाया तो शालिवाहन का शाका* १८३३ हुआ ॥ ३ ॥ * वर्तमान शाकामें ७८ युत करने से ईसवी सन् , ५१५ हीन करने से फसली सन् , ५०४ हीन करने से हिजरी सन् (१०० वर्ष कुमरी में तीन वर्ष बढता है तहां पर अन्तर का ध्यान रक्खै ) होता है। जैसे शाके १८३३ में ७८ युत किया तो ईसवी सन् १९११ हुआ। शाका १८३३ में ५१५ ही न किया तो फलली और बंगला सन् १३१८ हुआ। शका १८३३ में ५०४ हीन किया तो हिजरी सन् १३२९हुआ। Aho ! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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