SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रहस्पष्टाधिकारः । ११३ गति मिलैगी (अन्तर धन है, या ऋण इसका भी स्मरण रकैख) स्पष्टमति को १८ से गुणने से कलादि स्पष्ट गति होती हैं। उदाहरण-मंगल का मन्द खंडान्तर ऋण ११ है, इसके समान मन्दस्पष्ट भुक्ति चक्र में देखने से मन्दस्पष्ट गति २।४।३८१० मिली, और इस अन्तर के समान शीघ्रकेन्द्र गति के चक्र में देखने से शीघ्र केन्द्र गति १।१२।२१।५४ हुई, मन्द खंडांतर ११ है, और शीघ्र खंडांतर धन २३ है, इन दोनों के समान कोष्ठ में देखने से स्पष्टगति २२१।१६।४४।१३।१२ मिली, इसको १८ से गुणा करने पर कलादि स्पष्ट गत ४२।२३।५।१५।५७.३६ हुई ।। सूयादिस्पष्टग्रह चक्रम् । सू. | चं. । मं. बु. | वृ. शु. | श. रा. के. ग्रह । ६।२।०१७ राशि १३ १६ । १६ अंश ९३१ १२ ३९ ३९ कला २५ ४६ ३७ ४७ ४७ विकला प्रतिविक. भौमादीनां चक्रादपरचक्रांर्द्धमाससंख्या च वक्रमार्ग दिनादि ज्ञानविधयः-- विश्वाश्विगन्धर्वदशाङ्गमासै श्वकार्द्धचक्रं क्षितिजादिषह्यम् । षड्वह्नयो द्वादश तर्कवाण वेदाश्विनः सप्तरसाःक्रमेण ॥१६॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy