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________________ स्पष्टाधिकारः । ९७ दूसरे जगह में घरे हुए मध्यम शनि ५६ । ५० ५७ में वटाया तो मन्द स्पष्ट शनि ३९ ४०।१६ हुआ, इस मन्द स्पष्ट शनि को दो जगह घरि एक जगह इस में शनि के शीघ्र ८३ | १ | ४३ को घटाने लगे सो नहीं घटता इससे मन्द स्पष्ट में १२०० को युत किया तो १२३९।४०।१६ हुए, इसमें शीघ्र ८३।७।४३ को घटाया तो शनि का शीघ्रकेन्द्र १९५६ । ३२/३३ हुआ, इसको १२०० में घटाया तो ४३ । २७ । २७ । हुए इसमें १०० का भाग दिया तो लब्ध • मिला अतः भुक्त खंडा के अभाव से भोग्य खण्डा १० ही अन्तर धन हुआ, इससे शेष ४३ । २७ । २७ को गुणातो ४३४ । ३४ । ३० हुए इस में १०० का भाग दिया तो फल ४२०४५ मिले भुक्त खंडाके अभावले ४ | २२|४५ ही शीघ्र फल हुआ, केन्द्र छः राशि से अधिक है अतः दूसरी जगह घरे हुए मन्द स्पष्ट शनि ३९ । ४० | १६ में शीघ्रफल ४ । २० । ४५ को त किया तो स्पष्ट शनि ४४ । १ । १ हुआ इस में १०० का भाग देने से शनिश्चर की स्पष्ट राशि आदि ० । १३ । १२ : ३७ । ॥ ४ ॥ ५ ॥ ६ ॥ ॥ ७ ॥ ८ ॥। ९ ॥ राहु केतु स्पष्ट विधिः— ग्रहणं वेदहतं दशाप्तम् ध्रुवाईयुक्तं भवतीह पातः । खखागनेत्रान्तरितो मुखं स्याचायुक्तं स्फुट राहु पुचः ॥ १० ॥ स० टी० - अहर्गणं दिनगणं वेद हतं चतुर्भिर्गुणितं दशाप्तं दशभिर्विभाजितं धुवार्द्ध युक्तं ध्रुवार्डेन सहितं खखागनेत्रान्तरितो मुखमिह पातोराहुर्भवति, चक्राई - १३ Aho! Shrutgyanam
SR No.009873
Book TitleBhasvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShatanand Marchata
PublisherChaukhamba Sanskrit Series Office
Publication Year1917
Total Pages182
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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