SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिसको न दे मोला । उसको दे आसिफ़ुद्दौला ॥ नवाबने फ़क़ीरको बुलाया और उसे एक तरबूज़ भेंट दिया । बड़ी आशासे आया हुआ फ़क़ीर इस असन्तुष्ट रहा । पर क्या करता, तरबूज लेकर चल दिया । एक और फ़क़ीर मिला । तरबूज़ देखकर उसके मुँहमें पानी छूटने लगा । उसने कहा - 'तरबूज़ बेचोगे क्या ?' पहला फ़क़ीर तैयार हो गया और उसने दो पैसे में वह तरबूज़ बेच डाला | क्षुद्र दानसे रास्तेमें उसे दूसरे फ़क़ीरने घर आकर तरबूज़ तराशा तो उसमेंसे हीरा, और माणिक निकले ! मोती कुछ दिनों बाद पहला फ़क़ीर फिर नवाबके दरबार में आया और फिर वह सदा लगाई 'जिसको न दे मौला, उसको दे आसिफ़ुद्दौला ।' 'क्यों, वह तरबूज़ खाया था क्या ?' नवाबने पूछा । 'नहीं, उसे तो मैंने दो पैसेमें बेच दिया था ।' 'अरे, अरे ! तुम बड़े कमनसीब हो ! उसमें जवाहिरात भरे थे !' सुनकर फ़क़ीरको बेहद पश्चात्ताप हुआ । नवाबने कहा - 'आइन्दा यह झूठी सदा न लगाना, बल्कि कहा करना कि 'जिसको न दे मौला, उसको न दे आसिफ़ुद्दौला । जिसको न दे आसिफ़ुद्दौला, उसको दे मौला ॥' निर्माता जब नदीका पुल बन चुका तो उसके एक खम्भेपर खुदवाया गया'यह पुल नवाब यूसुफ़यारजंगने बनवाया ।' ६२ सन्त-विनोद
SR No.009848
Book TitleSant Vinod
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayan Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy