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________________ रखना । पर अपनी इस धोखेबाज़ीकी बात किसीसे न कहना । वर्ना लोग ज़रूरत से ज्यादा चौकन्ने हो जायेंगे और ज़रूरतमन्दोंकी मदद करनेमे हिचकने लगेंगे और इससे बहुत-से दीन-दुखियोंको मदद न मिल पायेगी ।' नावेरको इस बात से वह बहुत शर्माया और उसी वक़्त लौट कर उन्हें घोड़ा लौटा दिया और उनसे सदाके लिए दोस्ती कर ली । लंगोटी कस्तूरबा ने किसी गाँव में किसान औरतोंको रोज़ अपने कपड़े धोने और सफ़ाई रखनेका उपदेश दिया । एक ग़रीब किसानकी औरत, जिसके कपड़े निहायत गंदे थे, कस्तूरबाको अपनी झोंपड़ी में ले गई और बोली - ' माताजी, देखिए मेरे घर में कुछ नहीं है । बस, मेरी देहपर यह एक ही धोती है । अब आप ही बताइए मैं क्या पहनकर इसे धोऊँ ?' कस्तूरबाने इसका ज़िक्र गांधीजी से किया । उनपर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा । बोले— 'इस तरहकी तो देश में लाखों बहने होंगी । जब उनके पास तन ढकनेको कपड़े नहीं हैं तो फिर मुझे कुर्ता, धोती, चादर रखनेका क्या हक़ है ?' वस, तभी से उन्होंने सिर्फ लंगोटी पह्ननी शुरू कर दी । वैराग्य एक स्त्रोको मालूम हुआ कि उसका भाई कुछ दिनों बाद दीक्षा ले लेना चाहता है, इसलिए वह अपनी सम्पत्तिको व्यवस्था करनेमें लगा हुआ है। उसने अत्यन्त चिन्तित होकर पतिको यह हाल सुनाया । पति हँसकर बोला- 'फ़िक्र न करो, तुम्हारा भाई दीक्षा नहीं लेगा ।' सन्त-विनोद १४
SR No.009848
Book TitleSant Vinod
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayan Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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