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________________ सन्त-विनोद उम्र किसीने संत वायजीदसे पूछा-'आपकी उम्र क्या है ?' आपने जवाब दिया- 'चार साल ।' वह आदमी चुप हो गया। वायजीदने समझाया- 'मेरी ज़िन्दगीके सत्तर साल दुनियवी प्रपंचमें गुज़र गये। सिर्फ चार बरससे उस प्रभुकी तरफ़ देख रहा हूँ। ज़िन्दगीका जितना वक़्त उसके नज़दीक बीता है वही जीवन-काल है।' सावधान ! संत हसेनने एक बदमस्त शराबीसे कहा‘भाई ! क़दम सँभाल-सँभाल कर रक्खो, वर्ना गिर जाओगे।' शराबी बोला-'मुझे क्या, आप अपनेको समझाइए। सब जानते हैं कि मैं पीता हूँ और बेखबर भी हो जाता हूँ। गिर जाऊँगा तो नहाकर साफ़ हो जाऊँगा । मगर कहीं आपके पैर डगमगाये तो आप कहीं के नहीं रहेंगे ! सुनकर हुसेन सावधान हो गये । सन्त-विनोद
SR No.009848
Book TitleSant Vinod
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayan Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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