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________________ कठिनाईसे कुछ देरमें ज़मींदार उस छोटे प्रान्तको ढूँढ़ सका। उससे फिर पूछा गया- 'इसमें आपकी जागीर कहाँ है ?' 'भगवन् ! नक़शेमें इतनी छोटी जागीर कैसे बताई जा सकती है ?' ज़मींदारने जवाब दिया। ____ अब सुकरातने कहा-'भाई ! इतने बड़े नक़शेमें जिसके लिए एक बिन्दु भी नहीं रखा जा सकता उस ज़रा-सी ज़मीनपर तुम गर्व करते हो ! और समूचे ब्रह्माण्डके सामने तुम्हारी जागीर और तुम कहाँ हो और कितने हो ? इतनी क्षुद्रतापर इतना गर्व !' सभ्यता फ्रांसका बादशाह हैनरी एक बार अपने अंगरक्षकों और ऊँचे अफ़सरोंके साथ कहीं जा रहा था। रास्तेमें एक भिखारीने अपनी टोपी उतारकर और सिर झुकाकर उसे नमस्कार किया । हैनरीने भी अपनी टोपी उतारकर सिर झुकाकर भिखारीको नमस्कार किया। यह देखकर एक अफ़सरने कहा-'श्रीमान् ! एक भिखारीका आप इस तरह अभिवादन करें, यह क्या मुनासिब है ?' हैनरीने सरल भावसे कहा--'फ्रांसका बादशाह क्या एक भिखारीके बराबर भी सभ्य नहीं ?' पवित्र अन्न गुरु नानक घूमते हुए एक गाँवमें रुके। एक लुहार मक्काकी दो रोटियाँ लेकर आया। उस गाँवका ज़मींदार भी उत्तम पकवान बनवा कर लाया। उन्होंने ज़मींदारके पकवानोंको छोड़ कर लुहारकी रोटियाँ खा लीं। १०८ सन्त-विनोद
SR No.009848
Book TitleSant Vinod
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarayan Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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