SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०९ नमो नमो निम्मलदसणस्स ३५| बृहत्कल्प छेदसूत्र-२- हिन्दी अनुवाद ( उद्देशक-१) इस आगम सूत्र में कुल छ उद्देशक और २१५ सूत्र है । पद्य कोई नहीं । इस सूत्र में अनेक बार निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थी शब्द इस्तेमाल किया गया है । जिसका लोकप्रसिद्ध अर्थ साधु-साध्वी होता है । हमने पहले से अन्तिम सूत्र पर्यन्त हरएक स्थान में साधु-साध्वी अर्थ स्वीकार करके अनुवाद किया गया है । [१] साधु-साध्वी को आम और केले कटे हुए न हो तो लेना नहीं कल्पता । (यहाँ अभिन्न शब्द का शब्द शस्त्र से अपरिणत ऐसा भी होता है । यानि किसी भी शस्त्र के द्वारा वो अचित्त किया हुआ होना चाहिए । केवल छेदन-भेदन से आम अचित न भी हुआ हो, ताल प्रलम्ब शब्द से तालफल की बजाय केला ऐसा मतलब चूर्णी-वृत्ति के सहारे से किया गया है, लेकिन वहाँ अभिन्न शब्द का अर्थ अपक्क ऐसा होता है, उपलक्षण से तो सारे फल का यहाँ ग्रहण करना समजना) । [२] साधु-साध्वी को शस्त्रपरिणत या भेदन की गई आम या केले लेना कल्पे । [३-५] साधु को अखंड या टुकड़े किए गए केला लेने की कल्पे लेकिन, साध्वी को न कल्पे साध्वी को टुकड़े किये गए केला ही ग्रहण करना कल्पता है । (अखंड़ केले का आकार लम्बा देखकर साध्वी के मन में विकार भाव पेदा हो शकता है । और उस केले से वो अनंगक्रीड़ा भी कर शकती है । वृत्तिकार बताते है कि केले के छोटे-छोटे टुकड़े होने चाहिए। बड़े टुकड़े भी नहीं चलते ।) [६-९] गाँव, नगर, खेड़ा, कसबा, पाटण, खान, द्रोणमुख, निगम, आश्रम, संनिवेश यानि पड़ाव, पर्वतीय स्थान ग्वाले की पल्ली, परा, पुटभेदन और राजधानी इतने स्थान में चारो ओर वाड किला आदि हो बाहर घरो न हो तो भी साधुओ को शर्दी-गर्मी में एक महिना रहना कल्पे, बाहर आबादी हो तो एक महिना गाँव में और एक महिना गाँव के बाहर ऐसे दो मास भी रहना कल्पे, लेकिन गाँव आदि में रहे तब गाँव की भिक्षा कल्पे और गाँव आदि के बाहर वसति न हो तो शर्दी गर्मी में दो महिने रहना कल्पे...वसति हो तो दो महिना गाँव में और दो महिने गाँव के बाहर ऐसे चार महिने भी रहना पड़े केवल इतना कि गाँव आदि की भीतर रहे तब गाँव की भिक्षा और बाहर रहे तब बाहर की भिक्षा लेनी कल्पे । [१०-११] गांव यावत् राजधानी में जिस स्थान पर एकवाड, एकद्वार, एकप्रवेश, निर्गमन स्थान हो वहाँ समकाल साधु साध्वी को साथ रहना न कल्पे लेकिन अनेकवाड़, अनेकद्वार, अनेक प्रवेश निर्गमन स्थान हो तो कल्पता है । वगडा यानि वाड, कोट, प्राकार ऐसा मतलब होता है । गाँव या घर की सुरक्षा के
SR No.009788
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy