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________________ प्रज्ञापना- १६/-/४४० ६१ 1 आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी, अथवा एक औदारिकमिश्र० और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० और एक आहारकमिश्रशरीरकाय- प्रयोगी होता है, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय - प्रयोगी होते हैं । ये (द्विकसंयोगी) चार भंग हैं । अथवा कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्र० और (एक) कार्मणशरीरकाय - प्रयोगी होता है, अथवा एक औदारिकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय - प्रयोगी होता है, अथवा अनेक औदारिकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय प्रयोगी होते हैं । ये चार भंग हैं । अथवा एक आहारक० और एक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होता है, अथवा एक आहारक० और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक आहारक० और एक आहारक मिश्रशरीरकाय प्रयोगी होता है, अथवा अनेक आहारक० और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय- प्रयोगी होते हैं । ये चार भंग हैं । इसी प्रकार आहारक और कार्मणशरीरकाय - प्रयोगी की एक चतुर्भंगी होती है । इसी प्रकार आहारकमिश्र और कार्मणशरीरकाय - प्रयोगी की एक चतुर्भंगी होती है । इस प्रकार ( द्विकसंयोगी कुल ) चौबीस भंग हुए । अथवा एक औदारिकशरीरकाय प्रयोगी, एक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होता है, अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी, एक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा एक औदारिक मिश्रशरीरकाय प्रयोगी, अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय- प्रयोगी होता है; अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होते हैं; अथवा अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होते हैं; अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी, एक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है; अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय- प्रयोगी एक आहारकशरीरकाय- प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी होते हैं; अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय - प्रयोगी होता है, अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी, अनेक आहारकशरीरकाय प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं । ये आठ भंग हैं । इसी प्रकार औदारिकमिश्र, आहारक और कार्मणशरीरकाय प्रयोगी के आठ भंग समझ लेना । इसी प्रकार औदारिकमिश्र, आहारकमिश्र और कार्मणशरीरकाय प्रयोग के लेकर आठ भंग कर लेना । इसी प्रकार आहारक, आहारकमिश्र और कार्मणशरीरकाय प्रयोग को लेकर आठ भंग कर लेना । इस प्रकार त्रिकसंयोग के ये सब मिलकर कुल बत्तीस भंग जान लेने चाहिए । I अथवा एक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय- प्रयोगी होता है, अथवा एक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, एक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय प्रयोगी होते हैं, अथवा एक औदारिकमिश्र०, एक आहारक० अनेक आहारकमिश्र० और एक कार्मणशरीरकाय प्रयोगी होता है, अथवा एक औदारिकमिश्र०, एक आहारक०, अनेक आहारकमिश्र० और अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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