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________________ ६० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद होते हैं ? गौतम ! जीव सभी सत्यमनःप्रयोगी भी होते हैं, यावत् मृषामनःप्रयोगी, सत्यमृषामनःप्रयोगी, आदि तथा वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगी भी एवं कार्मणशरीरकायप्रयोगी भी होते हैं, अथवा एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा बहुत-से आहारकशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा बहुत-से जीव आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं । ये चार भंग हुए । (द्विकसंयोगी चार भंग)-अथवा एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकाय प्रयोगी, अथवा एक आहारकशरीरकायप्रयोगी और बहुत-से आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, अथवा बहुत-से आहारकशरीरकायप्रयोगी और एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी, अथवा बहुत-से आहारकशरीरकायप्रयोगी और बहुत-से आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी । ये समुच्चय जीवों के प्रयोग की अपेक्षा से आठ भंग हुए । भगवन् ! नैरयिक ? गौतम ! नैरयिक सभी सत्यमनःप्रयोगी भी होते हैं, यावत् वैक्रियमिश्रशरीर कायप्रयोगी भी होते हैं; अथवा कोई एक (नैरयिक) कार्मणशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा कोई अनेक नैरयिक कार्मणशरीरकायप्रयोगी होते हैं । इसी प्रकार असुरकुमारों यावत् स्तनितकुमारों में कहना । - भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव क्या औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी हैं, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी हैं अथवा कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी हैं ? गौतम ! तीनों है । इसी प्रकार अप्कायिक जीवों से लेकर वनस्पतिकायिकों तक कहना । विशेष यह है कि वायुकायिक वैक्रियशरीरकायप्रयोगी भी हैं और वैक्रियमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी भी हैं । भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीव ? गौतम ! सभी द्वीन्द्रिय जीव असत्यामृषावचन-प्रयोगी भी होते हैं, औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं, औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं । अथवा कोई एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, या बहुत-से (द्वीन्द्रिय जीव) कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं । चतुरिन्द्रियों तक इसी प्रकार समझना । पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों को नैरयिकों के समान कहना । विशेष यह कि यह औदारिकशरीरकाय-प्रयोगी भी होता है तथा औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी भी होता है । अथवा कोई पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी भी होते है । भगवन् ! मनुष्य संबंधी प्रश्न-गौतम ! मनुष्य सत्यमनःप्रयोगी यावत् औदारिकशरीरकायप्रयोगी भी होते हैं, वैक्रियशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं, और वैक्रियशरीरकाय-प्रयोगी भी होते हैं । अथवा कोई एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होता है, अथवा अनेक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा कोई एक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी होता है, अथवा अनेक आहारकशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा कोई एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा अनेक आहारकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं, अथवा कोई एक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होता है, अथवा अनेक कार्मणशरीरकाय-प्रयोगी होते हैं । (इस प्रकार) एक-एक के (संयोग से) आठ भंग होते हैं । अथवा कोई एक (मनुष्य) औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होता है, अथवा एक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और एक आहारकशरीरकायप्रयोगी होते हैं, अथवा अनेक औदारिकमिश्रशरीरकाय-प्रयोगी और अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी होते हैं । इस प्रकार ये चार भंग हैं । अथवा एक औदारिकमिश्र० और एक
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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