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________________ ३२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद [३६८] पंचप्रदेशीस्कन्ध में प्रथम, तृतीय, सप्तम, नवम, दशम, एकादश, द्वादश, त्रयोदश, तेईसवाँ चौवीसवाँ और पच्चीसवाँ भंग जानना । [३६९] षट्प्रदेशीस्कन्ध में द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवाँ, अठारहवाँ, बीसवाँ, इक्कीसवाँ और बाईसवाँ छोड़कर, शेष भंग होते हैं । [३७०] सप्तप्रदेशीस्कन्ध में दूसरे, चौथे, पाँचवें, छठे, पन्द्रहवें, सोलहवें, सत्रहवें, अठारहवें और बाईसवें भंग के सिवाय शेष भंग होते हैं ।। [३७१] शेष सब स्कन्धों में दूसरा, चौथा, पाँचवाँ, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवाँ, अठारहवाँ, इन भंगों को छोड़कर, शेष भंग होते हैं । [३७२] भगवान् ! संस्थान कितने कहे गए हैं ? गौतम ! पांच, परिमण्डल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत । भगवन् ! परिमण्डलसंस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं अथवा अनन्त हैं ? गौतम ! अनन्त हैं । इसी प्रकार यावत् आयत तक समझना । भगवन ! परिमण्डलसंस्थान संख्यातप्रदेशी है, असंख्यातप्रदेशी है अथवा अनन्तप्रदेशी है ? गौतम ! कदाचित् संख्यातप्रदेशी, कदाचित् असंख्यातप्रदेशी और कदाचित् अनन्तप्रदेशी है । इसी प्रकार आयत तक समझना । भगवन् ! संख्यातप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यातप्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! केवल संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक समझना। भगवन ! असंख्यातप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यात प्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! कदाचित् संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है और कदाचित् असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयत संस्थान तक कहना । भगवन् ! अनन्तप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यात प्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! कदाचित् संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है और कदाचित् असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक समझना । भगवन् ! संख्यातप्रदेशी एवं संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान चरम है, अचरम है, अनेक चरमरूप है, अनेक अचरमरूप है, चरमान्तप्रदेश है अथवा अचरमान्तप्रदेश है ? गौतम ! वह नियम से अचरम, अनेक चरमरूप, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक कहना | भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी और संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान में पूर्ववत् प्रश्न-गौतम ! संख्यातप्रदेशी के समान ही समझना । इसी प्रकार यावत् आयतसंस्थान तक समझना । भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशों में अवगाढ़ परिमण्डलसंस्थान में पूर्ववत् प्रश्न- गौतम ! संख्यातप्रदेशावगाढ़ की तरह समझना । इसी प्रकार यावत् आयतसंस्थान तक कहना । भगवन् ! अनन्तप्रदेशी और संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान ? गौतम ! संख्यातप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ के समान यावत् आयतसंस्थान पर्यन्त समझना । अनन्तप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ के समान अनन्तप्रदेशी असंख्यातप्रदेशावगाढ़ (परिमण्डलादि के विषय में) आयतसंस्थान तक कहना । __ भगवन् ! संख्यातप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान के अचरम, अनेक चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से और
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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