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________________ १७४ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद के १२४ भाग करके ४७ भाग छोड़कर यह सूर्य अन्तिम बासठवीं अमावास्या के साथ योग करता है । [९४] इस पंच संवत्सरात्मक युग में प्रथम पूर्णिमा में चंद्र किस नक्षत्र से योग करता है ? घनिष्ठा नक्षत्र से योग करता है, घनिष्ठा नक्षत्र के तीन मुहूर्त पूर्ण एवं एक मुहूर्त के उन्नीस वासठ्ठांश भाग तथा बासठ्ठवें भागको सडसठ से विभक्त करके जो पैंसठ चूर्णिका भाग शेष रहते है, उस समय में चंद्र प्रथम पूर्णिमा को समाप्त करता है । सूर्य पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के अठ्ठाइस मुहुर्त एवं एक मुहूर्त के अडतीस बासठ्ठांश भाग तथा बासठवें भाग के सडसठ भाग करके बत्तीस चूर्णिका भाग शेष रहने पर सूर्य प्रथम पूर्णिमा को समाप्त करता है । दुसरी पूर्णिमा-उत्तरा प्रौष्ठपदा के सत्ताईस मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के चौद बासठ्ठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके जो बासठ चूर्णिका भाग शेष रहता है तब चंद्र दुसरी पूर्णिमाको समाप्त करता है और चित्रा नक्षत्र के एकमुहर्त के अठ्ठाइस बासठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके तीश चूर्णिका भाग शेष रहता है तब सूर्य दुसरी पूर्णिमा को समाप्त करता है । तीसरीपूर्णिमा-उत्तराषाढा नक्षत्र के छब्बीश मुहूर्त एवं एकमुहूर्त के छब्बीश बासठ्ठांश भाग तथा बासठ भाग को सडसठ से विभक्त करके जो चोप्पन चूर्णिका भाग शेष रहता है तब चंद्र तीसरी पूर्णिमा को समाप्त करता है । पुनर्वसू नक्षत्र के सोलह मुहूर्त और एक मुहूर्त के आठ बासठांश भाग तथा बासठ भाग को सडसठ से विभक्त करके बीस चूर्णिका भाग शेष रहता है तब सूर्य तीसरी पूर्णिमा को पूर्ण करता है । चंद्र उत्तराषाढा के चरम समय में बासठवीं पूर्णिमा को समाप्त करता है और सूर्य पुष्य नक्षत्र के उन्नीस मुहूर्त और एक मुहूर्त के तेयालीश वासठ्ठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके तेतीश चूर्णिका भाग शेष रहने पर बासठवीं पूर्णिमा को समाप्त करता है । [९५] इस पंच संवत्सरात्मक युग में प्रथम अमावास्या में चंद्र अश्लेषा नक्षत्र से योग करता है । आश्लेपा नक्षत्र का एक मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के चालीश बासठ्ठांश भाग मुहूर्त तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके बासठ चूर्णिका भाग शेष रहने पर चन्द्र प्रथम अमावास्या को समाप्त करता है, अश्लेषा नक्षत्र के ही साथ चन्द्र के समान गणित से सूर्य प्रथम अमावास्या को समाप्त करता है । अन्तिम अमावास्या को चंद्र और सूर्य पूनर्वसू नक्षत्र से योग करके समाप्त करते है । उस समय पुनर्वसू नक्षत्र के बाइस मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के बयालीश बासठ्ठांश भाग शेष रहता है । [९६] जिस नक्षत्र के साथ चन्द्र जिस देशमें योग करता है वही ८१९ मुहूर्त तथा एक मुहूर्त के चौबीस बासठ्ठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके बासठ चूर्णिका भाग को ग्रहण करके पुनः वही चंद्र अन्य जिस प्रदेश में सदृश नक्षत्र के साथ योग करता है, विवक्षित दिन में चन्द्र जिस नक्षत्र से जिस प्रदेश में योग करता है वह १६३८ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के उनचास बासठांश भाग तथा बांशठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके पैंसठ चूर्णिका भाग ग्रहण करके पुनः वही चंद्र उसी नक्षत्र से योग करता है । जिस मंडल प्रदेश में जिस नक्षत्र के साथ चंद्र योग करता है, उसी मंडल में ५४९०० मुहूर्त ग्रहण करके पुनः वही चंद्र अन्य सदृश नक्षत्र के साथ योग करता है । विवक्षित दिवस में चन्द्र जिस नक्षत्र
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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