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________________ सूर्यप्रज्ञप्ति-१०/२२/९० १७३ [१०] निश्चितरूप से बासठ पूर्णिमा एवं बासठ अमावास्याए इन पांच संवत्सरवाले युग में होती है । जिस देसमें अर्थात् मंडल में चन्द्र सर्वान्तिम बांसटवी पूर्णिमा का योग करता है, उस पूर्णिमा स्थान से अनन्तर मंडल का १२४ भाग करके उसके बत्रीशवें भाग में वह चन्द्र पहली पूर्णिमा का योग करता है, वह पूर्णिमावाले चंद्रमंडल का १२४ भाग करके उसके वें भाग प्रदेश में यह दुसरी पूर्णिमा का चन्द्र योग करती है, इसी अभिलाप से इस संवत्सर की तीसरी पूर्णिमा को भी जानना । जिस प्रदेश चंद्र तीसरी पूर्णिमा का योग समाप्त करता है, उस पूर्णिमा स्थान से उस मंडल को १२४ भाग करके २२८वें भाग में यह चन्द्र बारहवीं पूर्णिमा का योग करता है । इसी अभिलाप से उन उन पूर्णिमा स्थान से एक-एक मंडल के १२४ - १२४ भाग करके बत्तीसवें - बत्तीसवें भाग में इस संवत्सर की आगे-आगे की पूर्णिमा के साथ चन्द्र योग करता है । इसी जंबूद्वीप में पूर्व-पश्चिम लम्बी और उत्तर-दक्षिण विस्तारवाली जीवारूप मंडल का १२४ भाग करके दक्षिण विभाग के चतुर्थांश मंडल के सत्ताइस भाग ग्रहण करके, अठ्ठाइसवे भाग को बीससे विभक्त करके अठ्ठारहवे भाग को ग्रहण करके तीन भाग एवं दो कला से पश्चात्स्थित चउब्भाग मंडल को प्राप्त किए बिना यह चन्द्र अन्तिम बावनवी पूर्णिमा के साथ योग करता है । [११] इस पंचसंवत्सरात्मक युग में प्रथम पूर्णिमा के साथ सूर्य किस मंडलप्रदेश में रहकर योग करता है ? जिस देश में सूर्य सर्वान्तिम बासठवीं पूर्णिमा के साथ योग करता है। उस मंडल के १२४ भाग करके चोरानवें भाग को ग्रहण करके यह सूर्य प्रथम पूर्णिमा से योग करता है । इसी अभिलाप से पूर्ववत् - इस संवत्सर की दुसरी और तीसरी पूर्णिमा से भी योग करता है । इसी तरह जिस मंडल प्रदेश में यह सूर्य तीसरी पूर्णिमा को पूर्ण करता है उस पूर्णिमा स्थान के मंडल को १२४ भाग करके ८४६वां भाग ग्रहण करके यह सूर्य बारहवीं पूर्णिमा के साथ योग करता है । इसी अभिलापसे वह सूर्य उन उन मंडल के १२४ भाग करके ९४ - ९४वें भाग को ग्रहण करके उन उन प्रदेश में आगे-आगे की पूर्णिमा से योग करता है । चन्द्र के समान अभिलाप से बावनवीं पूर्णिमा के गणित को समझ लेना । [१२] इस पंच संवत्सरात्मक युग में चन्द्र का प्रथम अमावस्या के साथ योग बताते है - जिस देश में अन्तिम बावनवीं अमावास्या के साथ चन्द्र योग करके पूर्ण करता है, उस देश - मंडल के १२४ भाग करके उसके बत्रीशवें भाग में प्रथम अमावास्या के साथ चंद्र योग करता है, चन्द्र का पूर्णिमा के साथ योग जिस अभिलापसे बताए है उसी अभिलाप से अमावास्या के योग को समझलेना... यावत्... जिस देसमें चंद्र अन्तिम पूर्णिमा के साथ योग करता है उसी देस में वह वह पूर्णिमा स्थानरूप मंडल के १२४ भाग करके सोलह भाग को छोड़कर यह चन्द्र बासठवीं अमावास्या के साथ योग करता है । [१३] अब सूर्य का अमावास्या के साथ योग बताते है-जिस मंडल प्रदेश में सूर्य अन्तिम बासठवीं अमावास्या के साथ योग करता है, उस अमावास्यास्थान रूप मंडल को १२४ भाग करके ९४वें भाग ग्रहण करके यह सूर्य इस संवत्सर की प्रथम अमावास्या के साथ योग करता है, इस प्रकार जैसे सूर्य का पूर्णिमा के साथ योग बताया था, उसीके समान अमावास्या को भी समझ लेना... यावत्... अन्तिम बावनवीं अमावसाय के बारे में कहते है किजिस मंडलप्रदेश में सूर्य अन्तिम बासठवीं पूर्णिमा को पूर्ण करता है, उस पूर्णिमास्थान मंडल
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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