SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०१ प्रज्ञापना- २२ /-/ ५२९ देश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत् वैमानिक तक कहना । जिस प्रदेश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस प्रदेश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत् जानना । इस प्रकार जिस जीव के, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में ये चार दण्डक हैं । भगवन् ! आयोजिता क्रियाएँ कितनी हैं ? गौतम ! पांच, कायिकी यावत् प्राणातिपात क्रिया । नैरयिकों से लेकर वैमानिकों तक इसी प्रकार कहना । जिस जीव के कायिकी - आयोजित क्रिया होती है, उसके आधिकरणिकी- आयोजिताक्रिया और जिसके आधिकरणिकीआयोजिताक्रिया होती है, उसके कायिकी - आयोजिताक्रिया होती है ? पूर्ववत् इस तथा अन्य अभिलाप के साथ जिस जीव में, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में ये चारों दण्डक यावत् वैमानिकों तक कहना । भगवन् ! जिस समय जीव कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है, उस समय पारितापनिकी अथवा प्राणातिपातिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है । गौतम ! कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से स्पृष्ट होता है; कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया से स्पृष्ट होता है, किन्तु प्राणातिपातक्रिया से नहीं, कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से (भी) अस्पृष्ट होता है तथा कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा से जिस समय कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी क्रिया से अस्पृष्ट होता है, उस समय पारितानिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से भी अस्पृष्ट होता है । [५३० ] भगवन् ! क्रियाएँ कितनी हैं ? गौतम ! पांच, आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानक्रिया और मिथ्यादर्शनप्रत्यया । भगवन् ! आरम्भिकीक्रिया किसके होती है ? गौतम ! किसी प्रमत्तसंयत को होती है । पारिग्रहिकीक्रिया ? गौतम ! किसी संयतासंयत के होती है । मायाप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रमत्तसंयत के होती है । अप्रत्याख्यानक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रत्याख्यानी के होती है । मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी मिथ्यादर्शनी के होती है । भगवन् ! नैरयिकों को कितनी क्रियाएँ हैं ? गौतम ! पांच, आरम्भिकी यावत् मिथ्यादर्शनप्रत्यया । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है उसके पारिग्रहिकीक्रिया तथा जिसके पारिग्रहिकीक्रिया होती है, क्या उसके आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उसके पारिग्रहिकी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं, जिसके पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उसके आरम्भिकी क्रिया नियम से होती है । जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको मायाप्रत्ययाक्रिया तथा जिसके मायाप्रत्ययाक्रिया होती है उसके आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको नियम से मायाप्रत्ययाक्रिया होती है, जिसको मायाप्रत्ययाक्रिया होती है, उसके आरम्भिकीक्रिया कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं । जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्यानिकीक्रिया तथा जिसको अप्रत्याख्यानिकीक्रिया होती है, उसको आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्यानिकीक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं; जिस जीव को अप्रत्याख्यानिकीक्रिया होती है, उसके आरम्भिकीक्रिया नियम से होती है । इसी प्रकार मिथ्यादर्शनप्रत्यया भी जानना । इसी प्रकार पारिग्रहिकी का आगे की तीन क्रियाओं
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy