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________________ १०० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद यावत् एक वैमानिक की अपेक्षा से कहना । विशेष यह कि (एक) नैरयिक या (एक) देव की अपेक्षा से पंचम क्रिया नहीं होती । भगवन् ! (अनेक) नारक, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओ वाले होते हैं ? गौतम ! तीन, चार और पांच क्रियाओं वाले भी होते हैं। भगवन् ! (अनेक) नैरयिक, (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? गौतम ! तीन अथवा चार । इसी प्रकार अनेक वैमानिकों की अपेक्षा से, कहना । विशेष यह कि अनेक औदारिकशरीरधारी जीवों की अपेक्षा से, आलापक में कथित अनेक जीवों के क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहना । भगवन् ! (एक) असुरकुमार, एक जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? गौतम ! नारक की अपेक्षा के चार दण्डक समान असुरकुमार की अपेक्षा से भी कहना। इस प्रकार का उपयोग लगाकर विचार कर लेना चाहिए कि एक जीव और एक मनुष्य ही अक्रिय कहा जाता है, शेष सभी जीव अक्रिय नहीं कहे जाते । सर्व जीव, औदारिक शरीरधारी अनेक जीवों की अपेक्षा से पांच क्रिया वाले होते हैं । नारकों और देवों की अपेक्षा से पांच क्रियाओंवाले नहीं कहे जाते । इस प्रकार एक-एक जीव के पद में चार-चार दण्डक कहना। यों कुल सौ दण्डक होते हैं । ये सब एक जीव आदि से सम्बन्धित दण्डक हैं । [५२९] भगवन् ! क्रियाएँ कितनी हैं ? गौतम ! पांच है । कायिकी यावत् प्राणातिपातक्रिया। भगवन् ! नारकों के कितनी क्रियाएँ हैं ? गौतम ! पांच, पूर्ववत् । इसी प्रकार वैमानिकों में भी जानना । जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसको आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस जीव के आधिकरणिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! वे दोनो होती है । जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है उसके प्राद्वेषिकीक्रिया और जिसके प्राद्वेषिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! दोनों होती है। जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकी तथा जिसके पारितापनिकी क्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं, किन्तु जिसके पारितापनिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया नियम से होती है । इसी प्रकार प्राणातिपातक्रिया भी जानना । इस प्रकार प्रारम्भ की तीन क्रियाओं का परस्पर सहभाव नियम से है । जिसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएँ होती हैं, उसके आगे की दो क्रियाएँ कदाचित् होती हैं, कदाचित् नहीं; जिसके आगे की दो क्रियाएँ होती हैं, उसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएँ नियम से होती हैं । जिसके पारितापनिकीक्रिया होती है, उसके प्राणातिपातक्रिया तथा जिसके प्राणातिपातक्रिया होती है, उसके पारितापनिकी क्रिया होती है ? गौतम ! जिस को पारितापनिकी क्रिया होती है, उसको प्राणातिपातक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं, किन्तु जिस जीव के प्राणातिपातक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया नियम से होती है । जिस नैरयिक के कायिकीक्रिया होती है उसके आधिकरणिकीक्रिया होती है ? गौतम ! सामान्य जीव के समान समझ लेना । इसी प्रकार वैमानिक तक कहना । भगवन् ! जिस समय जीव के कायिकीक्रिया होती है, क्या उस समय आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस समय आधिकरणिकीक्रिया होती है, उस समय कायिकीक्रिया होती है ? क्रियाओं के परस्पर सहभाव के समान यहाँ भी वैमानिक तक कहना । जिस देश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस
SR No.009786
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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