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________________ प्रज्ञापना- ३ /-/ २६२ २०५ पर्याप्तक जीव हैं, पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, त्रीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, एकेन्द्रिय पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं और उनसे भी इन्द्रियसहित पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं । भगवन् ! सेन्द्रिय पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े सेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, ( उनसे) सेन्द्रिय पर्याप्तक जीव संख्यातगुणे हैं । भगवन् ! इन एकेन्द्रिय पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों में कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प एकेन्द्रिय अपर्याप्तक हैं, ( उनसे) एकेन्द्रिय पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं । भगवन् ! पर्याप्तक और अपर्याप्तक द्वीन्द्रिय जीवों में कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम द्वीन्द्रिय पर्याप्तक हैं, ( उनसे) द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । ईसी तरह पंचेन्द्रियतक के — विषय में अल्पबहुत्व समझना । I भगवन् ! इन सेन्द्रिय, एकेन्द्रिय, यावत् पंचेन्द्रिय के पर्याप्तक और अपर्याप्तक जीवों में कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प चतुरिन्द्रिय पर्याप्तक हैं । पंचेन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं । द्वीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं । त्रीन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं । पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं । चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं । त्रीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं । द्वीन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं । एकेन्द्रिय अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं । सेन्द्रिय अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं । एकेन्द्रिय पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, सेन्द्रिय पर्याप्तक विशेषाधिक हैं ( तथा उनसे भी ) सेन्द्रिय विशेषाधिक हैं । [२६३] भगवन् ! इन सकायिक, पृथ्वीकायिक यावत् सकायिक और अकायिक जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प त्रसकायिक हैं, तेजस्कायिक असंख्यातगुणे हैं, पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, अप्कायिक विशेषाधिक हैं, वायुकायिक विशेषाधिक हैं, अकायिक अनन्तगुणे हैं, वनस्पतिकायिक अनन्तगुणे हैं, और ( उनसे भी ) सकायिक विशेषाधिक हैं । भगवन् ! इन सकायिक, पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक और त्रसकायिक अपर्याप्तकों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े सकायिक अपर्याप्तक हैं, तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, अप्कायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, वायुकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, उनसे भी सकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं । भगवन् ! इन सकायिक, पृथ्वीकायिक, यावत् त्रसकायिक पर्याप्तकों में ? गौतम ! सबसे अल्प सकायिक पर्याप्तक हैं, तेजस्कायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, पृथ्वीकायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं, अप्कायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, वायुकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, वनस्पतिकायिक पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं (उनसे भी) सकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं । भगवन् ! इन पर्याप्त और अपर्याप्त सकायिकों में ? गौतम ! सबसे थोड़े सकायिक अपर्याप्तक हैं, ( उनसे ) सकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं । ईसी तरह पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिको के अपर्याप्तक से पर्याप्तक को समजना । - भगवन् ! इन पर्याप्तक और अपर्याप्तक त्रसकायिकों में ? गौतम ! सबसे कम पर्याप्तक सकायिक हैं, ( उनसे ) अपर्याप्तक त्रसकायिक असंख्यातगुणे हैं । भगवन् ! इन सकायिक,
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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