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________________ अन्तकृद्दशा - ८/३/५२ ४५ लघुसिंहनिष्क्रीडित तप किया जो इस प्रकार है- उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, चौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पचौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, चौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, सात उपवास किये, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । नव उपवास किये, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, आठ उपवास किये, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पांच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, छह उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, चौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पचौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, चौला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया । इसी प्रकार चारों परिपाटियां समझनी चाहिये । एक परिपाटी में छह मास और सात दिन लगे । चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष और अट्ठाईस दिन होते हैं यावत् महाकाली आर्या सिद्ध हुई । वर्ग-८ अध्ययन - ४ [ ५३ ] इसी प्रकार कृष्णा रानी के विषय में भी समझना । विशेष यह कि कृष्णा ने महासिंहनिष्क्रीडित तप किया । लघुसिंहनिष्क्रीडित तप से इसमें इतनी विशेषता है कि इसमें एक से लेकर १६ तक अनशन तप किया जाता है और उसी प्रकार उतारा जाता है । एक परिपाटी में एक वर्ष, छह मास और अठारह दिन लगते । चारों परिपाटियों में छह वर्ष, दो मास और बारह अहोरात्र लगते हैं । वर्ग -८ अध्ययन - ५ [ ५४ ] काली आर्या की तरह आर्या सुकृष्णा ने भी दीक्षा ग्रहण की । विशेष यह कि वह सप्त सप्तमिका भिक्षुप्रतिमा ग्रहण करके विचरने लगी, जो इस प्रकार है- प्रथम सप्तक में एक दत्ति भोजन की और एक दत्ति पानी की ग्रहण की । द्वितीय सप्तक में दो दत्ति भोजन की और दो दत्ति पानी । तृतीय सप्तक में तीन दत्ति भोजन की और तीन दत्ति पानी । चतुर्थ सप्तक में चार दत्ति भोजन की और चार दत्ति पानी । पांचवें सप्तक में पांच दत्ति भोजन की और पांच दत्ति पानी । छट्ठे सप्तक में छह दत्ति भोजन की और छह दत्ति पानी । सातवें सप्तक में सात दत्ति भोजन की और सात दत्ति पानी । इस प्रकार उनपचास रात-दिन में एक सौ
SR No.009784
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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