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________________ भगवती - २०/-/५/७८६ १९७ नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, अथवा कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है । इस प्रकार ये छह भंग कहने चाहिए । इस प्रकार वर्णसम्बन्धी १८६ भंग होते हैं । गन्धसम्बन्धी छह भंग पंचप्रदेशी स्कन्ध के समान, रससम्बन्धी १८६ भंग वर्णसम्बन्धी भंग के समान । स्पर्शसम्बन्धी ३६ भंग चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान । भगवन् ! सप्तप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श का होता है, इत्यादि प्रश्न ? गौतम पंचप्रदेशिक स्कन्ध के समान, 'कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है' तक कहना चाहिए । यदि वह एक वर्ण, दो वर्ण अथवा तीन वर्ण वाला हो तो षट्प्रदेशी स्कन्ध के एक वर्ण, दो वर्ण एवं तीन वर्ण के भंगों के समान जानना चाहिए । यदि वह चार वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, इस प्रकार चतुष्कसंयोग में कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, तक ये पन्द्रह भंग होते हैं । इस प्रकार पांच चतुःसंयोगी भंग होते हैं । एक-एक चतुष्कसंयोगी में पन्द्रह - पन्द्रह भंग होते हैं । सब मिल कर ये ७५ भंग होते हैं । यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला तथा अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश शुक्ल होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश स्वेत होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश शुक्ल होता है । इस प्रकार सोलह भंग होते हैं । गन्ध के छह भंग चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान है ।
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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