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________________ १९६ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद होता है । अथवा कदाचित् एकदेश काला, नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है । अथवा एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है | अथवा अनेकदेश काला, एकदेश नीला एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है । इस प्रकार चतुःसंयोगी पांच भंग होते हैं । इसी प्रकार कदाचित् एकदेश काला, नीला, लाल और श्वेत के भी पांच भंग होते हैं । तथैव एकदेश काला, नीला, पीला और श्वेत के भी पांच भंग होते हैं । इसी प्रकार अथवा काला, लाल, पीला और श्वेत के भी पांच भंग होते हैं । अथवा नीला, लाल, पीला और श्वेत के पांच भंग होते हैं । इस प्रकार चतुःसंयोगी पच्चीस भंग होते हैं । यदि वह पांच वर्ण वाला हो तो काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है । इस प्रकार असंयोगी ५, द्विकसंयोगी ४०, त्रिकसंयोगी ७०, चतुःसंयोगी २५ और पंचसंयोगी एक, इस प्रकार सब मिलकर वर्ण के १४१ भंग होते हैं । गन्ध के चतुःप्रदेशी स्कन्ध के समान यहाँ भी ६ भंग होते हैं । वर्ण के समान रस के भी १४१ भंग होते हैं । स्पर्श के ३६ भंग चतुः प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं । भगवन् ! षट् प्रदेशिक स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है ? गौतम ! पंचप्रदेशी स्कन्ध के अनुसार कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है, तक ( जानना ।) यदि वह एक वर्ण और दो वर्ण वाला है तो एक वर्ण के ५ और दो वर्ण के ४ भंग पंच- प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं । यदि वह तीन वर्ण वाला हो तो कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, इत्यादि, पंचप्रदेशिक स्कन्ध के, यावत्- 'कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला और एकदेश लाल होता है, ये सात भंग कहे हैं', आठवाँ भंग इस प्रकार है - कदाचित् अनेकदेश काला, नीला और लाल होते हैं । इस प्रकार ये दस त्रिकसंयोग होते हैं । प्रत्येक त्रिकसंयोग में ८ भंग होते हैं । अतएव सभी त्रिकसंयोगों के कुल मिला कर ८० भंग होते हैं । यदि वह चार वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेस पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, कदाचित एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है; कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, अथवा कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, अथवा कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है । इस प्रकार ये चतुः संयोगी ग्यारह भंग होते हैं । यों पांच चतुःसंयोग कहना । प्रत्येक चतुःसंयोग के ग्यारह ग्यारह भंग मिलकर ये ५५ भंग होते हैं । यदि वह पांच वर्ण वाला होता है, तो कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, कदाचित् एकदेश काला, एकदेश
SR No.009782
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages306
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size18 MB
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