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________________ २४८ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद भी उद्वर्तित होते हैं और निरन्तर भी । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना । भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव सान्तर उद्वर्तित होते हैं या निरन्तर ? गांगेय ! पृथ्वीकायिक जीवों का उद्वर्त्तन सान्तर नहीं होता, निरन्तर होता है । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक जीवों तक जानना । ये सान्तर नहीं, निरन्तर उद्वर्तित होते हैं । भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्तन सान्तर होता है या निरन्तर ? गांगेय ! द्वीन्द्रिय जीवों का उद्वर्तन सान्तर भी होता है और निरन्तर भी होता है । इसी प्रकार वाणव्यन्तरों तक जानना । __ भगवन् ! ज्योतिष्क देवों का च्यवन सान्तर होता है या निरन्तर ? गांगेय ! उनका च्यवन सान्तर भी और निरन्तर भी । इसी प्रकार के वैमानिकों के जानना । [४५३] भगवन् ! प्रवेशनक कितने प्रकार का है ? गांगेय ! चार प्रकार का नैरयिकप्रवेशनक, तिर्यग्योनिक-प्रवेशनक, मनुष्य-प्रवेशनक और देव-प्रवेशनक । भगवन् ! नैरयिक-प्रवेशनक कितने प्रकार का है ? गांगेय ! सात प्रकार का रत्नप्रभा यावत् अधःसप्तमपृथ्वीनैरयिक-प्रवेशनक । भंते ! क्या एक नैरयिक जीव नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करता हुआ रत्नप्रभापृथ्वी में होता है, अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । गांगेय ! वह नैरयिक रत्नप्रभा, या यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में होता है । भगवन् ! नैरयिक जीव, नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होते हैं ? गांगेय ! वे दोनों रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक शर्कराप्रभापृथ्वी में । अथवा एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक बालुकाप्रभापृथ्वी में । अथवा यावत् एक रत्नप्रभापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा एक शर्कराप्रभा पृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् एक शर्करापृथ्वी में उत्पन्न होता है और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में, अथवा इसी प्रकार यावत् एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होता है । इसी प्रकार एक-एक पृथ्वीछोड़ देना; यावत् एक तमःप्रभा में और एक तमस्तमःप्रभा में उत्पन्न होता है । भगवन् ! तीन नैरयिक नैरयिक-प्रवेशनक द्वारा प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में उत्पन्न होते हैं ? अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी में उत्पन्न होते है ? गांगेय ! वे तीन नैरयिक (एक साथ) रत्नप्रभा में उत्पन्न होते है, अथवा यावत् अधःसप्तम में उत्पन्न होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में और दो शर्कराप्रभा में; अथवा यावत् एक रत्नप्रभा में और दो अधःसप्तम पृथ्वी में । अथवा दो नैरयिक रत्नप्रभा में और एक शर्कराप्रभा में । अथवा यावत् दो जीव रत्नप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा एक शर्कराप्रभा में और दो बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् एक शर्कराप्रभा में और दो अधःसप्तमपृथ्वी में । अथवा दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में, अथवा यावत् दो शर्कराप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में । शर्कराप्रभा की वक्तव्यता समान सातों नरकों की वक्तव्यता, यावत् दो तमःप्रभा में और एक तमस्तमःप्रभा में होता है, तक जानना । अथवा (१) एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में, अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है । अथवा यावत् एक रत्नप्रभा
SR No.009781
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size11 MB
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