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________________ ७२ आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद आदि की कथा, देशवासियों के कर्तव्याकर्तव्य की कथा, देशवासियों के नेपथ्य की कथा । राजकथा चार प्रकार की हैं- यथा-राजा के नगर-प्रवेश की कथा, राजा के नगर-प्रयाण की कथा, राजा के बल-वाहन की कथा, राजा के कोठार की कथा । धर्मकथा चार प्रकार की हैं आक्षेपणी, विक्षेपणी, संवेदनी और निर्वेदनी । आक्षेपणी कथा चार प्रकार की हैं-यथा आचारआक्षेपणी-साधुओं का आचार बतानेवाली कथा, व्यवहार आक्षेपणी-दोषनिवारणार्थ प्रायश्चित्त के भेद प्रभेद बतानेवाली कथा, प्रज्ञप्ति आक्षेपणी-संशयनिवारणार्थ कही जानेवाली कथा । दृष्टिवाद आक्षेपणी-श्रोतोओं को समझकर नयानुसार सूक्ष्म तत्वों का विवेचन करनेवाली कथा । विक्षेपणी कथा चार प्रकार की हैं-यथा स्व सिद्धान्त के गुणों का कथन करके परसिद्धान्त के दोष बताना, पर-सिद्धान्त का खण्डन करके स्वसिद्धान्त की स्थापना करना, परसिद्धान्त की अच्छाईयाँ बताकर पर-सिद्धान्त की बुराइयाँ भी बताना, पर सिद्धान्त की मिथ्या बातें बताकर सच्ची बातों की स्थापना करना । संवेदनीकथा चार प्रकार की हैं-यथा-इहलोक संवेदनी-मनुष्य देह की नश्वरता बताकर वैराग्य उत्पन्न करनेवाली कथा, परलोक संवेदनी-मुक्ति की साधना में भोग-प्रधान देव जीवन की निरुपयोगिता बताने वाली कथा, आत्शरीर संवेदनी-स्वशरीर को अशुचिमय बतानेवाली कथा, परशरीर संवेदनी-दूसरों के शरीर को नश्वर बतानेवाली कथा. निर्वेदनी कथा चार प्रकार की है -इस जन्म में किये गये दुष्कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है-यह बतानेवालीकथा, इस जन्म में किये गये दुष्कर्मो का फल परजन्म में मिलता हैं-यह बताने वाली कथा, परजन्म में किये गये दुष्कर्मो का फल इस जन्म में मिलता हैं-यह बतानेवाली कथा, परजन्म में किये गये दुष्कर्मों का फल इस जन्म में मिलता है-यह बतानेवाली कथा, परजन्म कृत दुष्कर्मों का फल परजन्म में मिलता हैं-यह बतानेवाली कथा । इस जन्म में किये गये सत्कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता हैं-यह बतानेवाली कथा, इस जन्म में किये गये सत्कर्मों का फल पर-जन्म में मिलता है-यह बतानेवाली कथा, परजन्म कृत सत्कर्मों का फल इस जन्म में मिलता है-यह बतानेवाली कथा, ४. परजन्म कृत सत्कर्मों का फल परजन्म में मिलता हैं-यह बतानेवाली कथा । [३०२] पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । वह इस प्रकार हैं- एक पुरुष पहले भी कृश था और वर्तमान में भी कृश हैं । एक पुरुष पहले कृश था किन्तु वर्तमान में सुदृढ़ शरीवाला हैं । एक पुरुष पहले भी सुदृढ़ शरीरवाला था किन्तु वर्तमान में कृशकाय हैं । एक पहले सुदृढ़ शरीवाला था और वर्तमान में भी सुदृढ़ शरीवाला हैं । पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । एक पुरुष हीन मनवाला है और कृशकाय भी हैं । एक पुरुष हीन मनवाला हैं किन्तु सुदृढ़ सरीर वाला हैं । एक पुरुष महामना है किन्तु कृशकाय है । एक पुरुष महामना भी है और सुदृढ़ शरीवाला भी हैं । पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । किसी कृशकाय पुरुष को ज्ञान-दर्शन उत्पन्न हो जाता हैं किन्तु सुदृढ़ शरीवाले पुरुष को ज्ञान-दर्शन उत्पन्न नहीं होता । किसी सुटढ़ शरीरवाले पुरुष को ज्ञान-दर्शन उत्पन्न हो जाता है किन्तु किसी कृशकाय पुरुष को ज्ञान-दर्शन उत्पन्न नहीं होता हैं । किसी कृशकाय पुरुष को भी ज्ञान-दर्शन उत्पन्न हो जाता है और किसी सुदृढ़
SR No.009780
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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