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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||१२|-12 ||१३|-19 अनुओगटाराई - (१२०) जाय स्यणप्पमा से तं पच्छाणुपुब्बी से किं तं अण्ाणुपुब्बी एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए सत्तगच्छ-गयाए सेटीए अण्णमण्णब्भासो दुसवूणो से तं अणाणुपुब्बी तिरियलोयखेत्ताणुपुब्बी तिविहा, पुव्वाणुपुवी पच्छाणुपुची अणाणुपुब्बी से किंतंपुवाणुपुयी ।१०३-91-109-1 (१२१) जंबुद्दीवे लवणे घायइ-कालोय-पुक्खरे वरुणे खीर-घय-खोय-नंदी अरुणवरे कुंडले रुयगे (१२२) जंबुद्दीवाओ खलु निरंतरा सेसया असंखइमा मुयगवर-कुसवरा विय कोंचवराऽभरणमाईया (१२३) आभरण-वत्य-गंधे उप्पल-तिलए य पुढवि-निहि-रयणे यासहर-दह-नईओ विजया वक्खार कप्पिंदा ॥१४-14 (१२) कुरु-मंदर-आवासा कूडा नम्खत्त-चंद-सराय देवे नागेजक्खे पूएयप्तयं मुरमणे य 1941-16 (१२५) से तं पुवाणुपुब्बी से किं तं पच्छाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्दी सयंमुरमणे जाव जंबुद्दीव से तं गोवणिहिया पच्छाणुपुव्वी से कि तं अणाणुपुब्बी अणाणुपुयी-एयाए चेव एगाइयाए एगुतरियाए असंखेजगचगयाए सेढीए अण्णमण्णमासो दुरूवणो से तं अगाणुपुब्बी उड्ढलोयखेत्ताणुपुब्दी तिविहा पनत्ता तं जहा-पुब्बाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्बी अणाणपुच्ची से किं तं पुव्याणपुवी पुव्वाणुपुवी-सोहम्मे ईसाणे सणकुमारे माहिदे बंमलोए लंतए महासुक्के सहस्सारे आणए पाणए आरणे अघुए गेवेञ्जविमाणा अनुत्तरविमाणा ईसिप्पडमारा से तं पुव्वाणुपुष्वी से किं त पच्छाणुपुब्बी पच्छाणुपुब्बी-ईसिपब्बारा जाव सोहम्मे से तं पच्छाणुपुदी से किं तं अगाणुपुच्ची अणाणुपुदी-एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए पन्नरस गच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णमासो दुरूवूणो से तं अणाणुपुथ्वी अहवा ओवणिहिया खेत्ताणुपुची तिविहा पन्नत्तातं जहा-पुव्वाणुपुव्वी पछाणुपुब्बी अणाणुपुल्वी से किं तं पुवाणुपुवी पुवाणुपुब्धी- एगपएसोगाटे दुएपसोगाढे जाव असंखेज्जपएसोगाढे से तं पुव्याणपुची से किं तं पच्छाणपव्यी पच्छाणुपुव्यी असंखेअपएसोगाढे जाव एगपएसोगाढे से तं पच्छाणुपुब्बी से किं तं अणाणुपुब्बी अणाणुपुवी-एयाए चेव एगाइयाए एगुतरियाए असंखेनगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्मासो दुरूवूणो से तं अणाणुपुब्बी से तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुब्बी से तं खेत्ताणुपुब्बी १०३।-103 (१२५) से किं तं कालाणुपुदी कालाणुपुब्बी दुविहा पत्रता तं जहा-ओवणिहिया य अपोवणिहियाय।१०४१-104 (१२७) तत्य णं जा सा ओवणिहिया सा ठप्पा तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पात्रता तं महा-नेगम-बवहाराणं संगहस्स य।१०५1-100 ___(११८) से किं तं नेगम-बवहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुब्बी नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुयी पंचविहा पन्नता तं जहा अट्ठपयपरूवणया भंगसमुकिकत्तणया मंगोवदंसणया समोयारे अनुगमे।०६।-108 (१२९) से किं तं नेगम-यवहाराणं अकृपयपरूवणया नेगम-वयहाराणं अट्ठपयपलवणयातिसपयढिईए आणुपुच्ची जाव दससमयहिईए आणुपुदी संखेजसमयट्टिईएआणुपुच्ची असंखेतसमयट्टिईए आणुपुची एगसमयट्टिईएअणाणुपुब्बी दुस्पयहिईएअणाणुपुच्ची तिसपट्टिईयाओ आणुपुब्बीओ जाय इससमयट्टिईयाओआणुपुव्यीओ संखेनसमयडियाओआणुपुचीओ असं For Private And Personal Use Only
SR No.009775
Book TitleAgam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
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