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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सु-०७ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७७) तं समासओ चउव्दिहं पन्नत्तं तं जहा-दव्वओ खेतओ कालओ भावओ तत्य दव्वओ णं ओहिनाणी महणेणं अनंताई रूविदव्वाई जाणइ पासइ उक्कोसेणं सव्वाई रूविदव्वाइं जाणइ पासह खेत्तओ णं ओहिनाणी जहणेणं अंगुलरस अंसखेामागं जाणइ पासइ उक्कोसेणं असंखेज्जाई अलोगे लोयमेत्ताई खंडाइ जाणइ पासइ कालओ णं ओहिनाणी जहणेणं आवलियाए असंखेभागं जाणइ पासइ उक्कोसेणं असंखेज्जाओ ओसप्पिणीओ उस्सप्पिणीओ अईयमाणगयं च कालं जाणइ पासइ भावओ णं ओहिणनाणी जहणणेणं अनंते भावे जाणइ पासइ उक्को सेण वि अनंते भावे जाणइ पासइ सव्वभावाणमंनंतभागं जाणइ पासइ ।१६ - 16 (७८) ओही मवपचइओ गुणपञ्चइओ य घण्णिओ एसो तस्स य बहू विगप्पा दव्वे खेत्ते य काले य ||५६||-56 (७९) नेरइयदेवतित्वंकरा य ओहिस्सबाहिरा हुंति पासंति सव्वओ खलु सेसा देसेण पासंति (८०) सेत्तं ओहिनाणं पद्यक्खं । १७-११-17.1 (८१) से किं तं मणपञ्जवनाणं मणपञ्चवनाणे णं भंते किं मणुस्साणं उप्पोइ अमणुस्साणं गोयमा मणुस्साणं नो अमणुस्साणं जइ मणुस्साणं-किं संमुच्छिममणुस्ताणं गब्भवक्कंतियमधुस्साणं गोयमा नो समुच्छिममणुस्साणं गम्भवक्कंतियमणुस्त्राणं जइ गव्यवक्कंतियमणूस्साणं किं कम्मभूमिय- गभवक्कंतियमणुस्साणं अकम्मभूमिय- गमवक्कंतियमगुस्साणं अंतरदीवग-गमवक्कंतियणुस्साणं गोयमा कम्मभूमिय-गमवक्कतियमणुस्साणं नो अकम्पभूमिय-गभयक्कंतिय- मणुस्साणं नो अंतरदीबग गमवक्कतियमणुस्साणं जइ कम्मभूमियगभवकुकंतियमणुस्साणं किं संखेजवासाउय-कम्पभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं असंखेजयासाउय-कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुसाणं गोयमा संखेवासाउय-कम्मभूमिय-गब्भवकूकंतियणुसाणं गोयमा संखेजवसाउय-कम्पभूमिय- गष्मवकंतियमणस्साणं नो असंखेायासाउयकम्मभूमिय-गमवक्कतियमणुस्साणं जइ संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साघणं किं पचत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्वाणं अपजत्तग-संकेञ्जवासाउप-कम्पभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं गोयमा पञ्चत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय-गमवकंतिय - मनुस्साणं नो अपञ्चत्तग- संखेजवासाउय कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं जइ पञ्चत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्पभूमिय-गभयक्कूकंतियमणुस्साणं-किं सम्मदिङि-पञ्जतग-संखेजबासाउय-कम्मभूमि- गमवक्कंतियमणुस्साणं सम्मामिच्छदिपिज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय- गमवक्कतियपणुस्साणं गोयमा सम्मदिट्टि -पजतग-संखेजवासाज्य-कम्मभूमिय-गपवकूकंतियमणुस्साणं नो मिच्छदिट्टि-पजत्तग-संखेञ्जवासाज्य-कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं नो सम्मामिच्छदिद्धि-पञ्जत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमिय- गम्भवक्कंतियममुस्साणं जइ सम्पदिट्ठि-पञ्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं किं संयम -सम्पदिट्ठी-पत्रत्तग-संखेज्जयासाउय-कम्पभूमिय-गमवक्कंतियमणुस्साणं असंजय सम्मदिद्वि-पञ्जत्तग-संखेजबासाउय-कम्पभूमिय-गब्भवक्कंतियमणुस्साणं संजया संजय सम्मदिट्ठि-पत्तग-संखेजवासाउय-कम्पभूमिय-गमवक्कंतिय- मणुस्साणं गोयमा संजय - सम्पदिट्टि -पञ्जत्तग-संखेज्जवासाउयकम्पभूमिय-गमवक्कंतिय- मणुस्साणं नो असंजय - सम्पदिट्ठि-पजत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्प For Private And Personal Use Only 1|49|1-57
SR No.009774
Book TitleAgam 44 Nandisuyam Chulikasutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages34
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 44, & agam_nandisutra
File Size1 MB
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