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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुहकप्पो - ४/१२६ वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरितए।१६1-18 (१२७) आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम इच्छेआ अण्णं गणं उपसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए नो कपइ आयरिय-उयज्झायस्स आयरिय-उवझायत्तं अनिक्खिवित्ता अण्णं गणं उपसंपञ्जित्ताणं विहरितए कप्पइ आयरिय-उवन्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं या ज्ञाव गणावच्छेइयं या अण्णं गणं उवसंपञ्जित्ताणं विहरितए कप्पइ से आपुछित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से वियरेजा एवं से कप्पइ अण्णं गणं उदसंपग्नित्ताणं विहरित्तएतेयसे नो वियरेशा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं उयसंपअित्ताणं विहरित्तए।१७:17 (१२८) भिक्खूय गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अण्णं गणं संभोगपडियाए उपसंपजित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छिता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं या अण्णं गणं संभोगपडियाए उपसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेदयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से वियरेजा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संमोगपडियाए उपसंपञ्जित्ताणं विहरितए ते य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरितए जत्थुत्तरियं धामविणयं लभेझा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संमोपपडियाए उवसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए जत्युत्तरियं धम्मविणयं नो लभेजा एवं से नो कप्पड़ अणं गणं संभोगपडियाए उवसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए।१८1-1a (१२१) गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम इच्छेना अण्णं गणं संभोगपडियाए उपसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए नो कप्पइ गणायच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिखिवित्ता अण्णं गणं संमोगपडियाए उयसंपअित्ताणं विहरित्तए कप्पइ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरिवं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जिताणं विहरित्तए ते य से वियरेजा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उपसंपञ्जित्ताणं दिहरितए ते य से नो वियोज्जा एवं से नो कप्पर अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपजित्ताणं विहरितए जत्युत्तरियं धम्मविणयं लभेशा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपञ्जिताणं विहरित्तए जत्युत्तरियं धम्मविणयं नोलभेजा एवं से नो कप्पड अण्णं गणं संभोगपडियाएउवसंपञ्जित्ताणं विहरितए।१९।-19 (१३०) आयरिय उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेचा अण्णं गणं संमोगपडियाए उवसंपञ्जिताणं विहरित्तए नो कप्पइ आयरिय-उवझायस्स आयरिय-उवज्झायतं अनिक्खिवित्ता अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपञ्जत्ताणं विहरित्तए कप्पइ आयरिय-उयज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं निविखवित्ता अण्णं गणं संभोगपडियाए उदसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए नो से कप्पइ अणापुछित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए ते य से वियरेा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपञ्जित्ताणं विहरित्तए ते य से नो वियरेजा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपत्तिाणं विहरित्तए जत्युत्तरियं धम्मविणयं लभेञ्जा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए For Private And Personal Use Only
SR No.009763
Book TitleAgam 35 BuhatKappo Chheysutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 35, & agam_bruhatkalpa
File Size1 MB
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