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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देसो (४२)जे भिक्खू पायस्स परं तिण्हं तुडियाणं तड्डेति तोतं वा सातिजति।।२42 (४३) जे भिक्खू पायं अविहीए पंधति बंधतं वा सातिञ्जति । ४३।-43 fre) जे पिक्खू पार्य एगेण बंधेण पंधति बंधतं वा सातिजति ।४४।-44 (४५) जे भिक्खू पयं परं तिण्डं बंधाणं बंधतिबंधतं वा सात्तिजति ।४५।-45 (४६) जे भिक्खू अतिरेगबंधणं पायं दिवड्ढाओ मासाओ परं धरेति धरेत वा० ।।६-48 (४७) जे भिक्खू यत्यस्स एगंपडियाणियं देति तं वा सातिजति |१७147 (४८) जे भिक्खू वत्यस्स परं तिण्हं पडियाणियाणं देति देतं वा सातिजति ।४८/-48 (४९) जे भिक्खू अविहीए वत्यं सिव्वति सिव्यंतं या सातिञ्जति ।।९।-49 (५०) जे भिक्खू वस्थस्स एग फालिय-गंठियं करेति करेंतं वा सातिजति।५०1-50 (५१) जे भिक्खू वत्थस्स परं तिण्हं फालिय-गंठियाण करेति करेंतं वा सातिअति।५१1-51 (५२) जे भिक्खू वत्यस्स एगंफालियं गंठेति गंठतं वा सातिज्जति ।५२।-52 (५३) जे भिक्खू वत्थस्स पर तिण्हं फालियाणं गंठेति गंतं या सातिजति।५३।-89 (५४) जे भिस्खू वत्यं अविहीए गंठेति गंठेतं वा सातिनाति ॥५४॥54 (५५) जे भिक्खू अतजाएणं गहेति गहेंतं वा सातिजति ।५५1-55 (५६) जे भिक्खू अइरेगगहियं वत्थं परं दिवड्ढाओ मासाओ धरेतिधरेंतं वा०५६-58 (५७) जे पिक्खू गिहधूमं अन्नउत्यिएण वा गारत्येिएण या परिसाडावेति परिसाडावेतं वा सातिजति ।५७1-57 (५८) जे भिक्खू पूतिकम्मं मुंजति भुजंतं या सातिञ्जति- तं सेवमाणे आवाइ मासियं परिहाखाणं अनुपातियं ॥५८1-58 •पटमो उद्देसो समतो. | बिइओ-उद्देसो (५९) जे भिक्खूदारुदंडयं पायपुंछणं करेति करेंत या सातिजति ।-1 (६०) जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं गेण्हति गेण्हतं या सातिजति।२।-2 (११) जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणधरेतिधरेतवा सातिञ्जति।३।-3 (१२) जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछणं वितरति वितरेत वा सातिञ्जति ।४५4 (६३) जे भिक्खूदारुदंडयं पायपुंछणं परिभाएति परिभाएंतं वा सातिजति 141-5 (६४) जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछण परिभृजति परिभुंजतं वा सातिजति 118 (६५) जे भिक्खू दारुदंडयं पायपुंछण परं दिवड्ढाओ मासाओ धरेति धरतं वा०1७17 (६६) जे भिक्खू दारुदंइयं पायपुंछणं विसुयावेति विसुयावेंतं वा सातिजति ।। (६७) जे भिक्खू अचित्तपतिट्ठियं गंधं जिंघति जिंधंतं वा सातिञ्जति।२।३ (६८) जे भिक्खू पदमागं या संकमं या आलंबणं वा सयमेव करेति करेंतं वा सातिजति 1901-10 (६९) जे भिक्खू दगवीणियं सयमेव करेति करेंतं वा सातिजति ।११1-11 (७०)जेभिक्खूसिक्कगंवासिक्कगणंतगंवासयमेवकरेतिकरेंतवासातिञ्जति।१२1-12 {७१)जेभिक्खूसोत्तियवारज्जुयंयाचिलिमिलिंसयमेवकरेतिकरेंतं वासातिजति ।१३+13 (७२) जे भिक्खू सूईए उत्तरकरणं सयमेव करेति करेंतं या सातिजति ।१४।-14 (७३) जे भिक्खू पिप्पलयस्स उत्तरकरणं सयमेव करेति करेंतं वा सातिजति ।१५।-15 For Private And Personal Use Only
SR No.009762
Book TitleAgam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages90
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 34, & agam_nishith
File Size2 MB
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