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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मखारो-४ एवं जो चैव सिद्धायतणकूडस्स उच्चत्त- विक्खंभ- परिक्खेवो जाव - बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुपज्झसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पनते-यावट्टि जोयणाई अद्धजोयणं च उच्चत्तेणं एक्कतीसंजोयणाई कोसं च विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय-पहसिए विव विविहमणिरयणभत्तिचित्ते वाउंडुयविजय-वेजयंतीपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिए तुंगे गगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालंतररयण पंचरुम्मिलिएव्व मणिरयणधूभियाए वियसियस्यवत्तपुंडरीयतिलयरयणद्धचंदचित्ते नानामणिमयदामालंकिए अंतो दाहिं ध सहे वइर-तवणिजरुइलवालुगापत्थडे सुहफासे सस्सिरीयरूये पासाईए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिजे भूमिभागे जाव सीहासणं सपरिवार से केणट्टेणं भंते एवं बुइ-चुल्लहिमवंतकडे चुल्लहिमवंतकूडे गोयमा चुल्लहिमवंते नामं देवे महिड्ढीए जाय परिवसइ कहिं णं भंते चुल्लहिमवंत गिरिकुमारस्स देवस्स चुल्लहिमवंता नाम रायहाणी पत्रत्ता गोयमा चुल्लहिमवंतकूडस्स दक्खिणेणं तिरियमसंखेजे दीवसमुद्दे वीवइत्ता अण्णं जंबुद्दीवे दीवं दक्खिणेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं चुल्लहिवंतगिरिकुमारस्त देवस्स चुल्लहिमवंता नामं रायहाणी पत्रता - बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एवं विजयरायहणीसरिसा भाणियव्वा एवं अवसेसाणवि कूडाणं वत्तव्वया नेयव्वा आयाम विक्खं परिक्खेव पासायदेवयाओ सीहासण परिवारो अट्ठो य देवाण य देवीण य रायाणीओ नेयच्याओ चउसु देवा चुल्लहिमवंत-भरह- हेमवय- वेसमणकूडेसु सेसेसु देवयाओ से केणद्वेणं भंते एवं वुइ चुल्लहिमवंते वासहरपब्बए चुल्लहिमवंते वासहरपलए गोयमा महाहिभवंतवासहरपव्वयं पणिहाय आयामुचत्त उव्वेह - विक्खंभ- परिक्खेवं पडुन ईसि खुडतराए चैव हसतरा चैव नीयतराए चैव चुल्लहिमवंते यत्य देवे महिड्ढीए जाव पतिओवमट्ठिईए परिवसइ से एट्टेणं गोयमा एवं दुच्चइ चुल्ल हिमवंते वासहरपव्वए- चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए अदुत्तरं चणं गोयमा चुल्लहिमवंतस्स सासए नामधे पन्नत्तेजं न कयाइं नासि न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निचे ७६ -75 ( १३१) कहि णं भंते जंबुद्दीवे दीवे हेमबए नामं वाले पत्रत्ते गोयमा महाहिमवंतस्स शसहरपव्ययस्स दक्खिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं पुरत्थिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं पञ्च्चत्थिमलवणसमुहस्स पुरत्थिमेणं एत्य णं जंबुद्दीवे दीवे हेमबए नामं वासे पन्नत्तेपाईणपडीणायए उदीम दाहिणविच्छिष्णे पलियंकसंठाण- संठिए दुहा लवणसमुद्दं पुट्ठे-पुरथिमिल्लए कोडी पुरथिमिल्लं लवणसमुद्दे पुढे पञ्च्चत्थिमिल्लाए कोडीए पचत्थिमिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठे दोण्णि य जोयणसहस्साई एगं च पंचुत्तरं जोयणसयं पंच य एगूणवीसइभाए जोयणस्स विक्खंभेणं तस्स बाहा पुरत्थिमपचत्विमेणं छज्जोयणसहस्साई सत्त य पणवण्णे जोयणसए तिण्णि य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया दुहओ लवणसमुद्दे पुट्ठा - पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिभिल्लं लवणसमुद्दं पुट्ठा पञ्चत्थिमिल्लाए कोडीए पञ्चत्थिमिल्लं लवणसमुद्दे पुट्ठा सत्ततीसं जोयणसहस्साई छच्च चउवत्तरे जोयणसए सोलस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स किंचिविसेसूणे आयामेणं तस्स धणुं धणुपद्धं दाहिणेणं अडतीसं जोयणसहस्साई सत्त य चत्ताले जोयणसए दस य एगूणवीसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं हेमवयस्स णं भंते वासस्स केरिसए आगारभाव पडोयारे पत्र गोयमा बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते एवं तइयसमाणुभावो नेयव्वो । ७७]-76 (१३२) कहि णं भंते हेमवए वासे सद्दावई नामं वट्टवेयड्ढपव्वए पन्नत्ते गोयमा रोहियाए ६१ For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
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