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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बक्खारो-७ १०१ ॥९१11 (२८०) ससिसमग पुनमासिं जोएंति विसमचारिनक्खत्ता कडुओ बहूदओवातमाहुसंवच्छरं चंदं ८६/2 (२८१) विसमं पयालिगो परिणमंति अणुसुंदेतिं पुष्फफलं वासंन सम्म वासइतमाहु संवच्छरं कम्म 1८७३ (२८२) पुढविदगाणं तु रसं पुष्फफलाणं च देइ आइयो अप्पेणवि वासेणं सम्मं निप्पञ्जए सासं ||८८14 (२८३) आइच्चतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमंति पूरेइ य निष्णयले तमाहु अभिवटियं जाण ॥८९ (२८४) सणिच्छरसंवच्छरे णं भंते कइदिहे पन्नते गोयमा अट्ठावीसइविहे पत्रत्ते जाव उत्तराओ आसाढाओ जंवा सपियरे महागएतीसाए संवच्छरेहिं सव्वं नक्खत्तमंडलं समाणेइ सेतं सणिकरसंवच्छरे।१५२-151 (२८५) अभिई सवणे धणिट्ठा सयभिसया दो य होति भद्दवया रेवइ अस्सिणि भरणी कत्तिय तह रोहिणी चेव II BolF1 (२८६) एगमेगस्सणं भंते संवच्छरस्स कामासा पन्नत्ता गोपमा दुवालस मासा पत्रत्ता तेसि णं दुविहा नामधेजा पत्रत्ता तं जहा-लोइया लोउत्तरिया य तत्थ लोइया नामा इसे तं जहा-सावणे भद्दवएजाय आसाढेलोउत्तरिया ना मा इमेतंजहा।१५३-9-152-1 (२८७) अभिणदिए पइट्टे य विजए पीइवद्धणे सेयंसे य सिवे चेव सिसिरे य सहमयं (२८८) नवमे वसंतमासे दसमे कुसुमसंभवे __एक्कारसे निदाहे य वणविरोहे य बारसे ॥९112 (२८९) एगमेगस्स णं भंते मासस्स कइ पक्खा पन्नता गोयमा दो पक्खा पन्नत्ता तं जहाबहुलपक्खे य सुक्कपक्खे य एगमेगस्त णं भंते पक्खस्स कइ दिवसा पन्नता गोयमापनरस दिवसा पन्नत्ता तं जहा-पडिवादियसे बिइयादिवसे नाव पत्ररसीदिवसे, एएसिणं ते पत्ररसहं दिवसाणं कइनामधेना पवत्ता गोयमा पन्नरस नामधेझा पत्रत्ता तिं जहा)-1१५३-11-162-2 (२९०) पुव्वंगे सिद्धमनोरमै यतत्तो मनोहरे चेय ___ जसपद्दे य जसधरे छड्ढे सव्वकामसमिद्धेय ॥९३111 (२९१) इंदमुद्धाभिसित्तेय सोमणस धणंजए य बोद्धव्ये अत्यसिद्ध अभिजाए अच्चसणे सयंजए चेव ॥९४ 2 (२९२) अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं होति नामधेजाई, एएसिणं भंते पन्नरसण्हं दिवसाणं कइ तिही पन्नत्ता गोयमा पत्ररस तिही पन्नत्तातं जहा नंदे मद्देजए तुच्छे पुग्ने पक्खस्सपंचमी पुणरवि नंदे भद्दे जए तुच्छे पुग्ने पक्खस्स दसमी पुणरविनंदे भद्दे जए तुच्छे पुन्ने पक्खस्स पनरसी एवं एते तिगुणा तिहीओसव्वेसिंदिवसाणं एगमेगसणंभंते पक्खस्स कई राईओपनत्ताओ गोयमा पन्नरस राईओ पन्नत्ताओतंजहा-पडिवाराई जाव पन्नरसीराई एयासिणं भंते पनरसण्हं राईणं कइ नामधेजा पत्रत्तागोयमापन्नरस नामधेजा पत्रत्ता [तंजहा)-1१५३-३1162-3 (२९३) उत्तमाय सुनक्खत्ता एलावद्याजसोहरा सोमणसा चेव तहा सिरिसंभूया य बोद्धव्वा ॥९५11 For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
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