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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रवारो-७ घरइजाव केवइयं खेतं गच्छइ गोयमा पंच जोयणसहस्साइंसत्तत्तचिजोयणाइंछतीसंचचोवत्तरे मागसए गच्छद मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता जया णं मंते चंदे अब्मंतरतचं मंडलं उबसंकमित्ता चारं चरइतयाणंएगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ गोयपापंच जोयणसहस्साई असीइंचजोयणाई तेरसयमागसहस्साई तिष्णिय एगणतीसे मागसएगच्छामंडलं तेरसहिंजाव छेत्ता एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे चंदे तयणंतराओ जाव संकममाणे तिण्णि-तिण्णि जोयणाई छण्णउइं च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले मुहत्तगई अमिवढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ जया णं मंते सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता घारं घरइ तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेतं गच्छइ गोयमा पंच जोयणसहस्साइंएगंचपणवीसं जोयणसयं अउणतरं च नउए भागसए गछइ मंडलं तेरसहि मागसहस्सेहिं सत्तहि य जाव छत्ता तयाणंइहगयस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहि य एगत्तीसेहि जोयणसएहि चंदे चक्खुप्फास हव्दमागच्छइ जया णं मंते बाहिराणंतरं पुच्छा गोयपा पंचजोयणसहस्साई एक्कं च एक्कवीसुत्तरं जोयणसयं एककारसय प सढे मागसहस्से गच्छद मंडलं तेरसहिं जाव छेत्ता जया णं पंते बाहिरतच्चं पुच्छा गोयमा पंचजोयणसहस्साई एगंच अट्ठारसुत्तरं जोयणसयं चोद्दस प पंतुत्तरे भागसए गच्छइ मंडलं तेरसहि सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सरहिं छत्ता एवे खलु एएणं उवाएणं जाय संकममाणेसंकममाणे तिष्णि-तिण्णि जोयणाई छण्णउई च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मंडले महत्तगई निवड्डेमाणे-निवड्ढेमाणे सव्वब्यंतरंमंडलं उवसंकमित्ताचारं चरइ ।१४९।-148 (२७६) कइणं भंते नक्खत्तमंडला पन्नता गोयमा अष्ट नक्खतमंडला पत्रत्ता जंबुद्दीवेणं भंते दीवे केवइयं ओगाहित्ता केवइया नक्खत्तमंडला पत्रत्ता गोयमा जंबुद्दीवे दीये असीयंजोयणसयं ओगाहेत्ता एस्थ णं दो नक्खत्तमंडला पत्रत्ता लवणे णं भंते समुद्दे केवइयं ओगाहेत्ता केवइयं नक्खतमंडला पत्रत्ता गोयमा लवणे णं समुद्दे तिणि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता एत्थणंछनक्खत्तमंडला पन्नता एवामेव सपुव्यायरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणसमुद्दे अट्ठ नक्खत्तमंडला पवंतीतिमक्खायं सव्वलंतराओणं पंते नक्खत्तमंडलाओ केवइयं अबाहाए सब्बबाहिरए नक्खत्तमंडले पत्रते गोयमा पंचसुतरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए नक्खत्तमंडले पनते नक्खत्तमंडलस्स णं भंते नखतमंडलस्स य एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पत्रत्ते गोयमा दो जोयणाई नक्खत्तमंडलस्स नक्खत्तमंडलस्स प अबाहाए अंतरे पत्रत्ते नक्खतमंडले णं भंते केवइयं आयामविक्खंमेणं केवइयं परिक्खेवेणं केवइयं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा गाउयं आयाम-विक्खंभेणं तंतिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धागाउयं बाहलेणं पत्रत्तेजंबुद्दीवेणं भंते दीवे मंदरस्स पव्ययस्स केवइयं अबाहाए सव्यसंतरे नक्खत्तमंडले पत्रत्ते गोयमा चोयालीसंजोयणसहस्साइं अह य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वबंतरे नखत्तमंडले पनते जंबुद्दीवे णं पते दीदे मंदरस्स पन्चयस्स केवइयं अबाहाए सबबाहिरए नक्खत्तमंडले पत्रत्ते गोयमा पणयालीसं जोयणसहस्साई तिणि पतीसे जोयणप्सए अबाहाए सव्वबाहिरए नक्खत्तमंडले पन्नत्ते सव्वभंतरे णं भंते नखत्तमंडले केवइयं आयाम-विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवणं पन्नत्ते गोयमानवणउइंजोयणहस्साईछचत्ताले जोपणसए आयाम-विक्खंभेणं तिष्णि यजोयणसयसहस्साई पन्नरस जोयणसहस्साई एगणणवईच जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेघेणं पत्रते सव्वबाहिरिए णं भंते नक्खत्तमंडले केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पन्नत्ते गोयमा एग जोयणसयसहस्सं छम सड़े जोपणसए For Private And Personal Use Only
SR No.009744
Book TitleAgam 18 Jambudivapannatti Uvangsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 18, & agam_jambudwipapragnapti
File Size3 MB
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